पहले खेलकूद और बाल पत्रिकाओं से बच्चों का मनोरंजन तो होता ही था। इससे वह तंदुरुस्त तो रहते थे साथ ही पढ़ाई के प्रति उनकी रूचि भी बढ़ती थी।
कवर्धा. एक दशक पूर्व बच्चे खेलकूद कर ही अपना मनोरंजन करते थे। इससे वह खेलकूद में माहिर होते थे साथ ही तंदुरुस्त भी होते। लेकिन अब बच्चों को मोबाइल की लत लग गई है।
कुछ वर्ष पहले तक कार्टून और वीडियो गेम का चलन कम था, लेकिन अब बच्चों को इसकी बुरी तरह से लत लग चुकी है, जो गंभीर है। पहले खेलकूद और बाल पत्रिकाओं से बच्चों का मनोरंजन तो होता ही था। इससे वह तंदुरुस्त तो रहते थे साथ ही पढ़ाई के प्रति उनकी रूचि भी बढ़ती थी। अब ऐसा बिलकुल नहीं है। बच्चे पूरी तरह से मोबाइल की गिरफ्त में है। गर्मी की छुट्टी होते ही टीवी और मोबाइल में वीडियो गेम और कार्टून देखने का दीवानापन और भी बढ़ गया है।