फसल चक्र व ड्रीप प्रणाली का लाभ
इससे पहले उसी जमीन पर भुट्टे व करेले का खेती किया था। हर सीजन में अलग अलग फसल लेने से उसे फसल चक्र का लाभ मिल रहा है। खुद का बोरवेल्स होने के कारण वे ड्रीप इरीगेशन व टपक प्रणाली के जरिए पानी का समुचित उपयोग कर अच्छी उत्पादन प्राप्त किया। नकदी फसल को बढ़ावा देने के विचार से भुट्टे व गाजर का खेती किया, जिसमें अन्य फसल की तुलना में अधिक आय अर्जित किया। अब कलींदर का खेती करने का मन बना लिया था।
कलींदर की फसल बचाव के तरीके
कलींदर के फसल वर्तमान में वाल्यावस्था में है। नन्हें फसल को ओला पानी के बचाव के लिए पॉलीथीन की सुरक्षा चक्र लगा रखा है, जिसमें जरुरत के हिसाब से पानी मिल सके। इसे उद्देश्य से ड्रीप इरीगेशन टपक प्रणाली से पानी का समुचित उपयोग कर रहा है।
उत्पादन अधिक
इस तरह के फसलों में अन्य फसल के अपेक्षा अच्छा पैदावरी के साथ आमदानी मिलता है, जिससे किसान अधिक लाभ अर्जित कर आर्थिक स्थिति में सुधार आ सकती है। लागत कम आने के कारण उत्पादन व आमदानी देखकर गांव सहित आसपास गांव के लोग भी इसी दिश में खेती करने का मन बना रहे हैं।