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जिले में युक्तियुक्तकरण के तहत बंद किए गए २० विद्यालय अब होने लगा खण्डहर

locationकवर्धाPublished: Dec 03, 2018 02:04:07 pm

Submitted by:

Panch Chandravanshi

शासन द्वारा वर्ष 2015-16 में युक्तियुक्तकरण के तहत 20 स्कूलों को बंद कर दिया गया, जिसकी नाराजगी क्षेत्र में देखने को मिल रही है, लेकिन अब स्कूल खंडहर में तब्दील होने लगा है।

School now seems to be ruined

School now seems to be ruined

कवर्धा. अंचल के कई गांव में प्राथमिक शाला, पूर्व माध्यमिक शाला, हाई स्कूल व हायर सेकण्डरी स्कूल वर्षों से संचालित हो रहा था, जिसे शासन द्वारा वर्ष 2015-16 में युक्तियुक्तकरण के तहत 20 स्कूलों को बंद कर दिया गया, जिसकी नाराजगी क्षेत्र में देखने को मिल रही है, लेकिन अब स्कूल खंडहर में तब्दील होने लगा है।
गांव में छोटे-छोटे बच्चों को प्राथमिक, माध्यमिक शिक्षा व हाई स्कूल तक की शिक्षा मिल रही थी, लेकिन उन स्कूलों को युक्तियुक्तकरण के तहत बंद कर देने से गांव में स्कूल बंद हो गई है, जिसके कारण लोगों में नाराजगी देखी जा रही है। वहां राज्य शासन ने लाखों रुपए की लागत से भवन का निर्माण व शौचालयों का पृथक से निर्माण, अतिरिक्त कक्ष का निर्माण, विद्युत, पेयजल आदि की सुविधा प्रदान की गई थी। यहीं नहीं उन भवनों के रखरखाव सहित अन्य सुविधाएं भी प्रदाय की गई थी। स्कूलों को चाक चौबंद भी किया गया था, लेकिन युक्तियुक्तकरण के तहत उन स्कूलों को बंद कर दिए जाने के कारण आज वह स्कूल खंडहर का रूप ले रहा है।
बालिकाओं की शिक्षा में आई कमी
आज बालिका शिक्षा अंचल में कम हुई है। सहसपुर लोहारा नगर में प्राथमिक स्कूल कन्या से लेकर हायर सेकण्डरी कन्या स्कूल तक की सुविधा शासन द्वारा मुहैया कराई गई थी, लेकिन गत वर्षों में जिस ढंग से राजनीतिकरण हुआ, उसका शिकार बालिका शिक्षा पर पड़ा है। स्वतंत्र रूप से कन्या स्कूल प्राथमिक से लेकर हायर सेकण्डरी तक संचालित हो रहे थे, जहां सैकड़ों की तादात में बालिकाएं नियमित रूप से अध्ययन कर रही थी, लेकिन संयुक्त रूप से बालक बालिकाओं को एक साथ शिक्षा ग्रहण कराने के चलते कई ग्रामीण पालकों ने अपनी बालिकाओं को आगे पढ़ाई कराने में उन्हें प्रतिबंधित कर दिए। आज बालिकाओं की सुरक्षा को लेकर पालक अत्यंत चिंतित रहते हैं।
तय करना पड़ता है लंबी दूरी
गांव में यह स्कूल भवन ग्रामीणों को चिड़ा रहा है कि हम बंद हो गए हैं, लेकिन आपके बच्चे दूरदराज गांव में पढऩे जाने को विवश हैं। कहीं 1 किलोमीटर से परिधि के अंदर के कारण स्कूलों को बंद किया गया, तो कहीं बच्चों की निर्धारित संख्या से कम होने की वजह से बंद किए गए। इस तरह कहीं न कहीं किसी न किसी कारण से उन स्कूलों को बंद कर दिए गए। ग्रामीण इसे राजनीति के तहत बंद किए जाने का कारण मानकर राजनीतिक दलों के विरोध में अधिकांश ग्रामीण हो चले हैं। यह बात ग्रामीण आज भी कह रहे हैं कि गांव का बच्चा गांव में न पढ़कर दूसरे गांव उन्हे पढऩे के लिए जाना पड़ता है।
बंद हुए 20 स्कूलों में लटक रहा ताला
जनप्रतिनिधि की निष्क्रियता के कारण आज अंचल के 20 स्कूलों में ताले लग गए। खाली भवनों में धूल जमे हुए हैं, जिसका कोई काम नहीं आ रहा है। स्कूल भवनों के रख-रखाव के अभाव में अब उन भवनों में दरारें पडऩे प्रारंभ हो रहे हैं। अंचल के जिन गांव के प्राथमिक स्कूलों को बंद किया गया उनमें कामनबोड, भैंसबोड़, कुम्हारी, कनवाटोला, खपरी, भीमपुरी, सोनपुरी, साहू पारा, लोहारा भाठटोला कन्या शाला लोहारा, छोटे धनौरा, बेल्हरी नवापारा है। इसी प्रकार शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला रेदाखाम्ही, दारगांव, सरईपतेरा, कन्या शाला लोहारा, हाई स्कूल बासिनझोरी, हाई सेकण्डरी कन्या स्कूल सहसपुर लोहारा को बंद किया गया है।
बच्चों का भविष्य दांव पर
जिन गांवों में संचालित स्कूल बंद की गई है, उन गांव के आधे बच्चे ही शिक्षा ग्रहण करने दूसरे गांव जा रहे हैं। जबकि अनेक बच्चे आज भी गांव में घूमते नजर आ रहे हैं। इससे बच्चों का भविष्य दांव पर लग गया है। बच्चे दूसरे गांव जाने में रुचि नहीं दिखाते हैं। वह गांव में खेती-किसानी या घरेलू काम करते हैं या फिर जैसे-तैसे घूमते रहते हैं। यही स्कूली बच्चे मुख्यधारा से भी हटकर असामाजिक कृत में जुटे रहते हैं। गांव में अवैध शराब बेचने के काम में उन्हें लगाया गया है या फिर जुआं, सट्टा जैसे कार्य में यह बच्चे आज भी जुड़े हुए हैं।
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