जी हां, यह इसलिए कहना पड़ रहा है कि क्योंकि शहर में पानी की समस्या गहराने लगी है। भू-जल स्तर तेजी से नीचे जा रहा है। हरियाली कम होते जा रहा है। वहीं दूसरी ओर नगर पालिका के जनप्रतिनिधि और अधिकारी केवल निर्माण कार्य और राजस्व वसूली पर ध्यान दे रहे हैं। तभी तो 81 करोड़ के बजट में पौधरोपण पर 5 लाख और वर्षा जल संरक्षण पर केवल ५ लाख रुपए का प्रावधान रखा गया है।
जबकि इसके लिए एक प्रभावी कार्य योजना तैयार करने की आवश्कता है, ताकि शहर में चारों ओर हरियाली ही हरियाली नजर आए और व्यर्थ बहने वाला पानी सीधे धरती में समाए। यह इसलिए जरूरी है क्योंकि शहर की स्थिति तेजी से बदल रही है। गली-गली, नाली-नाली क्रांकीटीकरण होने के कारण पानी जमीन के भीतर नहीं पहुंच पा रहा है। गर्म कांक्रीटीकरण में पानी केवल भाप बनकर उड़ रहा है, जो बहुत ही बड़ा चिंता का विषय है।
सभी लें जिम्मेदारी
बजट प्रस्तुतिकरण के दौरान सांसद प्रतिनिधि जसविंदर बग्गा ने शहर की खत्म होती हरियाली पर चिंता व्यक्त की। साथ ही उन्होंने हरियाली के लिए ग्रीन कवर्धा नीम कवर्धा अभियान चलाने की बात कही। एक व्यक्ति घर, ऑफिस या गोदाम के आसपास सिर्फ एक नीम का पौधा लगाएं और उसकी स्वयं देखरेख करें। यह काफी प्रभावी कदम हो सकता है। नीम इसलिए क्योंकि यह छायादार होता है। मवेशी इसे नुकसान नहीं पहुंचाते, साथ ही यह औषधियुक्त पेड़ है।
नगर पालिका परिषद कवर्धा के सीएमओ सुनील अग्रहरि ने बताया कि पिछले वर्ष हमने कई स्थानों पौधरोपण कराकर तार फेंसिंग कराए। मार्केट लाइन में दुकानों के सामने पौधे लगाए गए, जहां सुरक्षाघेरा भी लगवाए। इस वर्ष भी पर्यावरण संरक्षण को लेकर काम किया जाएगा।