scriptनिगम बनने से बढ़ेगी विकास की रफ्तार | The pace of development will increase by becoming a corporation | Patrika News

निगम बनने से बढ़ेगी विकास की रफ्तार

locationकवर्धाPublished: May 24, 2022 12:26:37 pm

Submitted by:

Yashwant Jhariya

नगर पालिका कवर्धा अब बूढ़ा हो चुका है और इसका दायरा भी सीमित हो चुका है। इसलिए इसे नया रूप दिया जाना बेहद आवश्यक है, ताकि नए जोश, उमंग के साथ शहर के साथ आसपास के कई दर्जन गांवों का भी विकास किया जा सके। इसके लिए कवर्धा को नगर निगम बनाया जाना जरूरी है।

निगम बनने से बढ़ेगी विकास की रफ्तार

निगम बनने से बढ़ेगी विकास की रफ्तार

कवर्धा
कवर्धा शहर को नगर पालिका परिषद का तमगा 5 मार्च 1933 में मिला था। यहां की पूरी बागडोर कवर्धा रियासत के राजा संभाले हुए थे। वर्ष 1936 से म्युनिसिपल कौंसिल का गठन कर प्रेसीडेंट आदि चुनाव प्रक्रिया द्वारा निर्वाचित किए गए। यहीं से कवर्धा नगर को पंख लगे। लेकिन आज आठ दशक बीत जाने के बाद भी नगर पालिका व इसके क्षेत्र में कोई बदलाव नहीं किया जा सका। जबकि कई ग्राम पंचायत नगर पंचायत बन गए। इसी तरह अब तक कवर्धा नगर पालिका को भी निगम का रूप मिल जाना था। इससे आसपास के कई दर्जन गांवों का भी विकास होता। ग्रामीण भी शहर का एक हिस्सा बन चुके होते। सड़क, बिजली, नाली सहित कई प्रकार की सुविधाएं मिलती, जिससे वह अब तक वंचित हैं।
शहर का विस्तारीकरण
नगर निगम बनाने की प्रक्रिया को सलरीकृत कर दिया गया है। पूर्व में एक लाख की आबादी में ही नगर निगम बनाए जाते थे, लेकिन अब 75 से 80 हजार की जनसंख्या में बना दिया जाता है। धमतरी को इसी तरह से नगर निगम बनाया गया। साथ ही बीरगांव की आबादी आज भी एक लाख से कम रही तो इसके लिए आसपास के गांवों को शहर में जोड़कर निगम बना दिया गया। इसी तरह से कवर्धा शहर का विस्तारीकरण कर क्षेत्रफल बढ़ाया जा सकता है।
50 गांव जुड़ेंगे
वर्ष 2011 की जनगणना के मुताबिक कवर्धा शहर की जनसंख्या 46657 थी। आज 10 वर्ष में अनुमानित 10 से 15 हजार से अधिक आबादी बढ़ चुकी है। मतलब शहर की आबादी करीब 55-60 हजार मान सकते हैं। वहीं दूसरी ओर कवर्धा शहर से 8 किमी के दायरे में 50 गांव मौजूद है जिसे पालिका से जोड़ा जा सकता है। यदि प्रत्येक गांव की औसत जनसंख्या 500 से 600 ही मानी जाए तो 25 से 30 हजार की आबादी शहर से जुड़ेगी। इस तरह कुल आबादी 80-85 हजार हो जाएगी। ऐसे में निगम के लिए जो आबादी चाहिए वह मौजूद है।
निगम से फायदे
पालिका से निगम बन जाएगा तो विकास कार्य केवल शहर तक नहीं सीमित नहीं रहेगा, जो गांव निगम के दायरे में आएगा, उसका भी उद्धार होगा। यातायात की सुविधा व संसाधन बढ़ेगा। विकास कार्य के लिए राज्य शासन के अलावा केंद्र से भी बजट मिलेगा, जिससे केवल शहर होने वाले कार्य जुड़े गांवों में होंगे। मुख्य रूप से शहर की तरह गांव जो वार्ड बन जाएंगे वहां सड़क, पानी सप्लाई, स्ट्रीट लाइट, नाली निर्माण कराए जाएंगे। सुविधाएं बढ़ जाएगी।
निगम से नुकसान
नगर पालिका से नगर निगम बनने पर सभी तरह के टैक्स में 10 प्रतिशत तक की वृद्धि हो जाएगी। संपत्तिकर, समेकित कर और जलकर में 10 फीसदी बढ़ोत्तरी होगी। इसके अलावा ग्रामीणों को मनरेगा के तहत मिलने वाला कार्य बंद जाएगा। क्योंकि शहरी क्षेत्र में मनरेगा के कार्य नहीं होते। मतलब 50 गांवों मेंं रोजगार की गारंटी ही खत्म हो जाएगी। आवास निर्माण के लिए अनुमति, डिजाईन, वाटर हार्वेस्टिंग बनवाना और निर्धारित शुल्क देना होगा।
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