वर्ष 2011 की जनगणना के मुताबिक कवर्धा शहर की जनसंख्या 46657 थी। आज 10 वर्ष में अनुमानित 10 से 15 हजार से अधिक आबादी बढ़ चुकी है। मतलब शहर की आबादी करीब 55-60 हजार मान सकते हैं। वहीं दूसरी ओर कवर्धा शहर से 8 किमी के दायरे में 50 गांव मौजूद है जिसे पालिका से जोड़ा जा सकता है। यदि प्रत्येक गांव की औसत जनसंख्या 500 से 600 ही मानी जाए तो 25 से 30 हजार की आबादी शहर से जुड़ेगी। इस तरह कुल आबादी 80-85 हजार हो जाएगी। ऐसे में निगम के लिए जो आबादी चाहिए वह मौजूद है।
निगम से फायदे
पालिका से निगम बन जाएगा तो विकास कार्य केवल शहर तक नहीं सीमित नहीं रहेगा, जो गांव निगम के दायरे में आएगा, उसका भी उद्धार होगा। यातायात की सुविधा व संसाधन बढ़ेगा। विकास कार्य के लिए राज्य शासन के अलावा केंद्र से भी बजट मिलेगा, जिससे केवल शहर होने वाले कार्य जुड़े गांवों में होंगे। मुख्य रूप से शहर की तरह गांव जो वार्ड बन जाएंगे वहां सड़क, पानी सप्लाई, स्ट्रीट लाइट, नाली निर्माण कराए जाएंगे। सुविधाएं बढ़ जाएगी।
निगम से नुकसान
नगर पालिका से नगर निगम बनने पर सभी तरह के टैक्स में 10 प्रतिशत तक की वृद्धि हो जाएगी। संपत्तिकर, समेकित कर और जलकर में 10 फीसदी बढ़ोत्तरी होगी। इसके अलावा ग्रामीणों को मनरेगा के तहत मिलने वाला कार्य बंद जाएगा। क्योंकि शहरी क्षेत्र में मनरेगा के कार्य नहीं होते। मतलब 50 गांवों मेंं रोजगार की गारंटी ही खत्म हो जाएगी। आवास निर्माण के लिए अनुमति, डिजाईन, वाटर हार्वेस्टिंग बनवाना और निर्धारित शुल्क देना होगा।
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