उद्यानिकी फसलों की ओर बढ़ रहा ग्रामीण किसानों का रूझान
जिलें में परंपरागत खेती की स्थान पर अब किसानों का रुझान उद्यानिकी व फलोद्यान की ओर बढ़ा है, जिससे सुखद परिणाम भी सामने आ रहे हैं। अब तो धीरे-धीरे जिले के ग्रामीण इलाकों में केला, पपीता और अमरूद आदि की खेती होने लगी है।
कवर्धा
Published: February 23, 2022 12:29:34 pm
कवर्धा. जिलें में परंपरागत खेती की स्थान पर अब किसानों का रुझान उद्यानिकी व फलोद्यान की ओर बढ़ा है, जिससे सुखद परिणाम भी सामने आ रहे हैं। खास कर युवा किसान आधुनिक कृषि के नये तकीनक को समझ कर इसे खेत में इस्तेमाल कर रहे हैं और बंपर पैदावार हासिल कर रहे हैं। यही कारण है कि अब कृषि को भी राज्य में व्यापार के तौर पर देखा जा रहा है क्योंकि किसान आधुनिक तकनीक को अपनाकर अच्छी कमाई कर रहे हैं।
पारंपरिक खेती को छोड़कर किसान आधुनिक खेती की तरफ बढ़ रहे हैं। इसका उन्हे फायदा भी हो रहा है, खासकर युवा किसान आधुनिक कृषि के नये तकीनक को समझ कर इसे खेत में इस्तेमाल कर रहे हैं और बंपर पैदावार हासिल कर रहे हैं।
क्यारी व बगीचा तैयार करने के लिए किसानों को एक बार की मेहनत करनी पड़ती है। इसके बाद हर साल लाखों का मुनाफा होता है। अब तो धीरे-धीरे जिले के ग्रामीण इलाकों में केला, पपीता और अमरूद आदि की खेती होने लगी है। आमतौर पर क्षेत्र में किसानों द्वारा खरीफ सीजन में धान, सोयाबीन और रबी में गेहूं, चना की फसल की व्यापक खेती ली जाती है। इन फसलों पर 30 प्रतिशत खर्च मांगे बीज खाद और दवाइयों के इस्तेमाल से होता है। इसलिए किसानों को मुनाफा मेहनत और लागत के हिसाब से कम मिलता है। वहीं जानकार बताते हैं कि उपरोक्त फसलों पर मौसम परिवर्तन का सबसे ज्यादा असर होता है। अधिक बारिश अथवा सूखा पडऩे पर अनाज व तिलहनी फसलें खराब हो जाती है, जबकि उद्यानिकी फसलों में मौसम का जोखिम कम होता है। तीन-चार साल में किसानों का रुझान उद्यानिकी फलोद्यान की ओर तेजी से बढ़ा है।
केले और पपीते का एक्सपोर्ट
ग्रामीण अंचल के किसानों का रुझान पिछले तीन चार साल से सब्जी तरकारी के साथ केला और पपीते के खेती की ओर बढ़ा है। किसानों द्वारा अब तो सैकड़ों एकड़ में उन्नत खेती की जा रही है। वहीं अब डिमांड के हिसाब से जिले में पैदा होने वाले पपीते की कई वैरायटी ऐसी है, जो अधिक स्वादिष्ट मानी जाती है। जिसकी डिमांड बड़े शहर के अलावा देश के अन्य राज्य में भी खूब है। यहां से केला और पपीता का एक्सपोर्ट होकर विदेश तक भेजा जने लगा है। पारंपरिक खेती से हटकर आधुनिक खेती की तो कमाई बढ़ गयी।
आधुनिक खेती के फायदे
गांव में रहने वाले किसान संतोष मुख्य रुप से सब्जियों की खेती करते हैं, लेकिन गर्मी के मौसम में केला की खेती करते हैं। फिलहाल उनकी पांच एकड़ जमीन में ड्रिप इरिगेशन लगा हुआ है। इसके अलावा उन्होंने दो बार उन्नत खेती के लिए प्रशिक्षण भी लिया है। ड्रिप इरिगेशन से फायदा यह हुआ है कि पानी की समुचित उपयोग कर पानी बचत हो रही है। जिस पानी से पहले वो फ्लड इरिगेशन तकनीक से साल में एक फसल ले पाते थे, अब उसी पानी से तीन फसल ले पा रहे हैं। इससे उन्हें प्रतिवर्ष लाखों रुपए की कमाई हो रही है।

उद्यानिकी फसलों की ओर बढ़ रहा ग्रामीण किसानों का रूझान
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