scriptभोरमदेव अभयारण्य में बाघिन की संदिग्ध मौत से वन विभाग में हड़कंप, शिकार की आशंका, जांच में जुटा अमला | Tiger hunt in forest of Kawardha district, Forest Dep. is investigate | Patrika News

भोरमदेव अभयारण्य में बाघिन की संदिग्ध मौत से वन विभाग में हड़कंप, शिकार की आशंका, जांच में जुटा अमला

locationकवर्धाPublished: Nov 14, 2020 09:50:48 am

Submitted by:

Dakshi Sahu

कवर्धा जिले में भोरमदेव अभयारण्य अंतर्गत जंगल में एक बाघिन की संदिग्ध मौत होने से वन विभाग में हड़कंप मच गया है। बाघिन के शिकार की आशंका जताई जा रही है

भोरमदेव अभयारण्य में बाघिन की संदिग्ध मौत से वन विभाग में हड़कंप, शिकार की आशंका, जांच में जुटा अमला

भोरमदेव अभयारण्य में बाघिन की संदिग्ध मौत से वन विभाग में हड़कंप, शिकार की आशंका, जांच में जुटा अमला

कवर्धा. जिले में भोरमदेव अभयारण्य अंतर्गत जंगल में एक बाघिन की संदिग्ध मौत होने से वन विभाग में हड़कंप मच गया है। बाघिन के शिकार की आशंका जताई जा रही है हालांकि वन विभाग इससे इनकार कर रहा है। भोरमदेव अभयारण्य के चिल्फी रेंज के ग्राम तुरैयाबाहरा के जंगल में एक बाघिन का शव मिला। 12 नवंबर की शाम को वन विभाग की टीम घटना स्थल पहुंची। मिली जानकारी के अनुसार बाघिन का शव कबीरधाम जिले और मध्यप्रदेश के बॉर्डर पर मिला है। बाघिन के शरीर के कुछ हिस्से में गहरी चोट और कुछ मांस भी नोचा गया है। इससे बाघिन के शिकार की आश्ंाका जताई जा रही है।
वन विभाग ने की ग्रामीणों से पूछताछ
हालांकि वन विभाग के अफसर इससे इनकार कर रहे हैं। उनका कहना है कि बाघिन की मौत किसी बाघ या फिर से अन्य किसी हिंसक जानवर से संघर्ष के चलते हुई है। वन विभाग की टीम घटना स्थल पहुंचकर जांच कर रही है। वहीं आसपास गांव के ग्रामीणों से पूछताछ भी की गई है।
चार तेंदुओं की मिल चुकी है लाश
कबीरधाम जिले में वर्ष 2014 से अब तक चार तेंदुए की भी मौत हो गई है। नवंबर 2014 में चिल्फ ी वन परिक्षेत्र के शीतलपानी के आश्रित ग्राम मचियाकोना बीट क्रमांक 335 में में मादा तेंदुए का शव मिला था। वहीं अक्टूबर 2018 में भोरमदेव अभयारण्य के बफर एरिया में झलमला से जामुनपानी के बीच शीतलपानी के पास पानी से भरे एक स्टॉपडैम नुमा डबरी में तेंदुए का शव झाडिय़ों में फंसा मिला था। मार्च 2019 में पंडरिया ब्लॉक के नेऊर अंतर्गत बीट क्रमांक 478 के जंगल में शिकारियों ने 11केव्ही तार में कच्चा तार के जरिए तेंदुआ का शिकार किया। इसमें दो मवेशी के मौत हुई थी। वहीं मई 2020 में सहसपुर लोहारा वन परिक्षेत्र के बीट क्रमांक 291 में कर्रानाला डूबान क्षेत्र में मादा तेंदुए का शव मिला। इस तरह से मौत होते जा रहे हैं।
दो बाघिन-बाघ का शिकार
जिले में अब तक दो बाघिन और एक बाघ की मौत हो चुकी है। पहला मामला वर्ष 2010 का है। अमनिया के जंगल में बाघ को जहर देकर मार दिया गया था। मतलब शिकार किया गया था। वहीं दूसरा मामला वर्ष 2011 में भोरमदेव अभयारण्य के जामुनपानी में हथियार से बाघिन की हत्या की गई थी। शिकारी बाघिन के दांत, नाखून व मूंछ के बाल निकालकर अपने साथ ले गए थे। वहीं अब एक और बाघिन की मौत भोरमदेव अभयारण्य क्षेत्र में हुई है।
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