ये रहे मौत के आंकड़े
जिले में तीन वर्ष में ही 22 हजार 541 लोग मलेरिया की चपेट में आ गए। मलेरिया ने केवल लोगों को बीमार नहीं किया है बल्की 16 लोगों को मौत के घाट भी उतार दिया। मलेरिया से ग्रसित होकर लोगों ने अपनी जान भी गवां रहे हैं। वर्ष 2016 में चार की मौत हुई थी। इसी प्रकार वर्ष 2017 में 7 और 2018 में 5 लोगों की मौत मलेरिया से हो चुकी है।हर वर्ष 8 से 10 लाख रुपए खर्च
मलेरिया की रोकथाम व पीडि़तो के इलाज के लिए हर वर्ष करीब 8 से 10 लाख रुपए केंद्र व राज्य सरकार द्वारा स्वास्थ्य विभाग को भेजा जाता है। लेकिन जिले में मलेरिया की बीमारी मे कमी नहीं रही है। वर्ष 2016 में वनांचल गांव में आदिवासी बैगा परिवारों को मच्छरदानी का वितरण भी किया गया था। इसी प्रकार इस वर्ष भी मच्छरदानी का वितरण किया गया है। वहीं विभाग का प्रचार-प्रसार कम होने के कारण लोग अब भी जागरुक नहीं हो सके हैं। मच्छरदानी का उपयोग नहीं करते हैं। यहां तक की पीडि़त को दवाई देने के बाद भी वे सेवन नहीं करते हैं।स्वछता की कमी
केंद्र व राज्य सरकार लोगों को स्वच्छता के लिए जागरुक कर रही है। इसके लिए शासन ने लाखों रुपए खर्च भी कर दिए, लेकिन सफाई का नामोनिशां तक नहीं दिखाई देता। नगर पंचायत, नगर पालिका व पंचायत के जिम्मेदार द्वारा सार्वजनिक स्थल की सफाई पर ध्यान नहीं दिया जाता। कचरा इक्कठा होने व अधिक दिनों तक पानी जमा रहने से मच्छर पनपते हैं। इसी से मलेरिया के चपेट में अधिक लोग आते हैं।मलेरिया के लक्षण
मलेरिया के शिकार मरीज को ठंड के साथ तेल कपकपी आना, तेज बुखार, पसीना आना, सिर दर्द, बदन दर्द, उल्टी दस्त, खांसी आना, बेहोशी व झटके आना है। इसके साथ पेशाब की मात्रा में कमी, रक्तचाप में अधिक गिरावट आना, पीलिया के लक्षण, आंखों की रोशनी में कमी मलेरिया के लक्षण हैं।विश्व मलेरया अभियान चलाया जा रहा है
स्वास्थ्य विभाग कबीरधाम सीएचएमओ, डॉ अखिलेश त्रिपाठी का कहना है- जिले में विभाग द्वारा अभियान चलाया जाता है।मलेरिया को लेकर लोगों में अब भी जागरुकता की कमी है।डीडीटी का छीडक़ाव भी किया जा रहा है। गंदगी के कारण ही मच्छर पननते हैं। इससे ही बीमारी फैलती है। मच्छर दानी का भी वितरण किया जाता है|