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कवर्धा

राज्य के तीन शक्कर कारखाना में आज टूलडाइन

कवर्धा, बालोद और अंबिकापुर के शक्कर कारखाना के नियमित कर्मचारी डीए व क्रमोन्नति की कर रहे मांग, काली पट्टी लगाकर कर रहे प्रदर्शन

कवर्धाSep 28, 2018 / 12:17 pm

Yashwant Jhariya

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राज्य के तीन शक्कर कारखाना में आज टूलडाइन

कवर्धा . भोरमदेव सहकारी शक्कर कारखाना सहित राज्य सभी शक्कर कारखाना में टूलडाउन हो चुका है। यहां के नियमित कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर कालीपट्टी लगाकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
राज्य के कवर्धा, बालोद और अंबिकापुर के शक्कर कारखाना के नियमित कर्मचारी लंबे से समय कारखानों में कार्यरत हैं, लेकिन इनकी मांगों पर प्रबंधन, शासन-प्रशासन कभी गौर नहीं करती है। इसके चलते ही इस बार कर्मचारियों ने आंदोलन का मूड बनाया। नियमित कर्मचारी 136 प्रतिशत डीए और क्रमोन्नति-पदोन्नति की लगातार मांग करते रहे, लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसके चलते ही पदस्थ नियमित कर्मचारी शुक्रवार 28 सितंबर को टूलडाउन(कामबंद) कर काली पट्टी लगाकर कार्यस्थल उपस्थित होकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। टूलडाउन पर कर्मचारियों द्वारा कार्य नहीं किए जाने पर अगर किसी भी प्रकार की कोई कारखाने में कार्य प्रभावित होता है तो इसकी संपूर्ण जिम्मेदारी कारखाना प्रबंधन की होगी।
बैठक कर लिया निर्णय
इसके लिए पिछले दिनों सभी शक्कर कारखाना संघ की बैठक आयोजित कर निर्णय लिया गया। इस दौरान कहा गया कि मांग पूरी नहीं होने पर नियमित कर्मचारियों द्वारा उचित समय पर हड़ताल व प्रदर्शन भी किया जाएगा।

7वें वेतनमान की पात्रता
कवर्धा भोरमदेव सहकारी शक्कर कारखाना कर्मचारी कल्याण संघ के अध्यक्ष नरेन्द्र सिन्हा ने बताया कि राज्य शासन के अधीन कार्यरत निगम, मंडल, आयोग, अर्धशासकीय संस्थाओं और शत-प्रतिशत अनुदान प्राप्त अशासकीय संस्थाओं के कर्मचारियों को छत्तीसगढ़ वेतन पुनरीक्षण नियम 2017 में दिए गए प्रावधानों के अनुसार वेतन पुनरीक्षण करते हुए एक जुलाई 2018 से इसका आर्थिक लाभ दिए जाने का प्रावधान है। इसके तहत भोरमदेव सहकारी शक्कर कारखाना के नियमित कर्मचारी ७वें वेतनमान की पात्रता रखते हैं।
नियमित कर्मचारी 300 से अधिक
कवर्धा, बालोद और अंबिकापुर के सहकारी शक्कर कारखानों में नियमित कर्मचारियों की संख्या करीब 300 से अधिक है। कारखानों में मेंटेनेंस वर्क अभी चल रहा था, जो शुक्रवार को बंद है। इसके चलते प्रबंधन को काफी परेशानी हो रही है। एक दिन पूर्व ही संघ के पदाधिकारियों को समझाने के लिए बुलाया गया, लेकिन वह नहीं माने और एक दिवसीय हड़ताल पर चले गए।
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