एक किवदंती यह भी...
एक अन्य किवदंती के अनुसार जब ग्राम के किसान खेतों में गंडई कीड़े के प्रकोप से परेशान थे, तब उन्होंने माता मन्दिर में प्रार्थना कर, मन्दिर के जल का खेतों में छिड़काव किया और उस कीट के प्रकोप से मुक्ति पाई। तब से क्षेत्र के सभी किसान खेतों में फसल की बुवाई माता की पूजा अर्चना के बाद करते हैं। सहसपुर लोहारा में मन्दिर के पास ही बावली है, जो प्राचीन वास्तुकला का बेजोड़ नमूना है। नवरात्र में माता देवालय में स्थापित कलशों का विसर्जन इसी बावली में किया जाता है। यह मंदिर आस्था एवं भक्ति का प्रमुख केंद्र है।
109 ज्योति कशल प्रज्ज्वलित होंगे
चैत्र नवरात्र के प्रथम तिथि यानि शनिवार को देवी मंदिरों में वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ देवी आह्वान, घट स्थापना और पूजन किया गया। घट स्थापना और देवी के लिए प्रथम ज्योति जिसे माई ज्योति कहते हैं, जिसे श्रेष्ठ शुभ मुहूर्त पर प्रज्ज्वलित किया गया। वहीं गंगई मंदिर में तृतीया तिथि यानि आज 109 मनोकामना ज्योति प्रज्ज्वलित होंगे, जिसमें 8 ज्योति घी व 101 तेल का ज्योति कशल प्रज्ज्वलित किया जाएगा। इसकी तैयारी मंदिर समिति द्वारा पूर्ण कर लिया है।
एक अन्य किवदंती के अनुसार जब ग्राम के किसान खेतों में गंडई कीड़े के प्रकोप से परेशान थे, तब उन्होंने माता मन्दिर में प्रार्थना कर, मन्दिर के जल का खेतों में छिड़काव किया और उस कीट के प्रकोप से मुक्ति पाई। तब से क्षेत्र के सभी किसान खेतों में फसल की बुवाई माता की पूजा अर्चना के बाद करते हैं। सहसपुर लोहारा में मन्दिर के पास ही बावली है, जो प्राचीन वास्तुकला का बेजोड़ नमूना है। नवरात्र में माता देवालय में स्थापित कलशों का विसर्जन इसी बावली में किया जाता है। यह मंदिर आस्था एवं भक्ति का प्रमुख केंद्र है।
109 ज्योति कशल प्रज्ज्वलित होंगे
चैत्र नवरात्र के प्रथम तिथि यानि शनिवार को देवी मंदिरों में वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ देवी आह्वान, घट स्थापना और पूजन किया गया। घट स्थापना और देवी के लिए प्रथम ज्योति जिसे माई ज्योति कहते हैं, जिसे श्रेष्ठ शुभ मुहूर्त पर प्रज्ज्वलित किया गया। वहीं गंगई मंदिर में तृतीया तिथि यानि आज 109 मनोकामना ज्योति प्रज्ज्वलित होंगे, जिसमें 8 ज्योति घी व 101 तेल का ज्योति कशल प्रज्ज्वलित किया जाएगा। इसकी तैयारी मंदिर समिति द्वारा पूर्ण कर लिया है।