पटवारी व राजस्व निरीक्षक के पास अतिरिक्त हल्का, सर्किल का प्रभार रहता है। एक पटवारी के पास 4000-9000 खसरा नंबर होते हैं सभी को भूमि में सभी फसलों का फोटो लेकर रखना संभव नहीं है। उसी तरह एक राजस्व निरीक्षक के प्रभार क्षेत्र में लगभग 40000-80000 खसरा नंबर आते हैं जिसका 25 प्रतिशत यानि 10000-20000 खसरा प्रविष्टियों की फोटो सहित गिरदावरी जांच पूर्णत: अव्यवहारिक है। इन समस्त कार्यों को संपादन 50 दिनों में किया जाना बहुत मुश्किल है। अनुशासनात्मक कार्रवाई का भय दिखाकर किसी भी क्षेत्रीय कर्मचारी से 100 प्रतिशत शुद्ध गिरदावरी/गिरदावरी जांच की अपेक्षा नहीं की जा सकती है।
कोविड-19 महामारी काल में भी हल्का पटवारी व राजस्व निरीक्षक लोगों की भीड़ में जाकर शासकीय कार्यों के साथ-साथ कोरोना से संबंधित कार्य भी किया जा रहा है। पूरे राज्य में राजस्व निरीक्षक व पटवारी कोरोना पॉजिटिव पाए गए है जिसमें किसी भी राजस्व कर्मी की मृत्यु भी हो सकती है। अत: स्वास्थ्य कर्मियों की तरह ही राजस्व कर्मियों का बीमा अविलम्ब किया जाए ताकि अनिष्ट होने की स्थिति में संबंधित कर्मचारी के परिवार को वित्तीय राहत मिल सके।
खरीफ फसल 15 सितंबर से 30 अक्टुबर तक जब वर्षा का प्रवेग कम होता है किया जाना निर्धारित है परंतु विगत वर्षों से खरीफ गिरदावरी को 1 अगस्त से 20 सितंबर तक किए जाने का आदेश दिया गया। पटवारी व राजस्व निरीक्षक वर्षा से अपने अभिलेख को बचाये या गिरदावरी जांच करें। पहले खसरा पांचषाला में ही गिरदावरी की जाती थी परंतु वर्तमान में बगैर तकनीकी संसाधनों, सुविधाओं नेट भत्ता के ऑनलाईन प्रविष्टि और ऑनलाईन प्रविष्टि की फोटो युक्त जांच आवेदन को करने का आदेश जारी किया गया। इस तरह कई परेशानियां सामने रहती है इसके बाद भी काम का बोझ बढ़ाया जाता है।