कवर्धा तहसील के ग्राम चचेड़ी के माल गुजार के यहां 12 नवम्बर 1920 को जन्म लेने वाले बालक लालमणि तिवारी के परिजनों को यह अनुमान ही नहीं था कि आगे चलकर स्वतन्त्रता आन्दोलन में मणि और भारत के लाल की तरह दैदीप्यमान होगा। इनकी प्रारंभिक शिक्षा ग्राम चचेड़ी की पाठशाला में हुई। बाद में 1931 में रायपुर के सेंटपाल स्कूल में प्रवेश लिया। यह वह दौर था जब क्रान्तिकुमार भारतीय, मोहनलाल पाण्डेय आदि बैठा करते थे और देश की आजादी पर चर्चा करते थे। इससे प्रेरित होकर लालमणि तिवारी आरंभिक अवस्था में ही गांधी प्रेरित आन्दोलन में एक सामान्य कार्यकर्ता के रूप में दीक्षा ली और खादी वस्त्र अपना ली।
रातोंरात पाम्पलेट तैयार कर बंटवाया
सन 1942 के आन्दोलन में गांधीजी की गिरफ्तारी की खबर चौधरी नीतिराज सिंह के यहां रेडियो पर सुनी। नरसिंहपुर के सभी प्रमुख नेता गिरफ्तार कर लिए गए। इधर छत्तीसगढ़ में शुक्ल जी वगैरह गिरफ्तार हुए। इस स्थिति में लालमणि तिवारी जी ने गुप्ता बुक डिपो से स्टेशनरी की व्यवस्था कराकर रातोंरात पाम्पलेट तैयार कर बंटवाया और जुलूस निकाल जिसमें बालाप्रसाद पचौरी वकील, लक्ष्मीप्रसाद मिश्रा जैसे बड़े नेता शामिल हुए। जब जुलूस पर अंग्रेज अफसर डंडा चलाने की सोंच रहे थे तब वे भी स्प्रिंग वाला डंडा हाथ में छुपाये हुए थे हालांकि उसकी नौबत नहीं आई।
स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की जानकारी नगर के शिक्षाविद आदित्य श्रीवास्तव द्वारा प्रदान किया गया।