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रहस्य: नदी के बीच में विराजित हैं ये पत्थर, कही भी रखो सुबह वहीं मिलता है स्थापित

locationकवर्धाPublished: Jun 14, 2019 04:26:00 pm

Submitted by:

Anjalee Singh

छत्तीसगढ़ के मंदिरों और पुरातात्विक स्थलों में कुदरत के कई रहस्य अब भी लोगों का इंतजार कर रहे हैं।
एक ऐसा ही रहस्य लोगों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।

walking stone

रहस्य: नदी के बीच में विराजित हैं ये पत्थर, कही भी रखो सुबह वहीं मिलता है स्थापित

कवर्धा/रायपुर. छत्तीसगढ़ के मंदिरों और पुरातात्विक स्थलों में कुदरत के कई रहस्य अब भी लोगों का इंतजार कर रहे हैं। एक ऐसा ही रहस्य लोगों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। यहां के गांव के तालाब मेें एक पत्थर है जो आसपास कहीं भी हटा देने पर रात में खुद ही अपनी नियत स्थान पर लौट आता है। स्थानीय ग्रामीण इसे चलने वाला पत्थर कहते हैं। इसे बगरंगपाठ देव मानकर अब इसकी पूजा की जा रही है।

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कवर्धा के भाटकुंडेरा गांव के पुराने तालाब के पास बरगद का पेड़ है। इसके नीचे शिव मंदिर व शीतला मंदिर बने हैं। इसी तालाब के अंदर बगरंग पाठ देव का वह चलने वाला पत्थर मौजूद है। आकृति में आयताकार यह पत्थर रवादार है। लगभग चार फीट लंबा और ढाई फीट चौड़ा है। गांव के लोगों ने पत्रिका को बताया कि 40-50 साल पहले हम लोग ने कुछ ग्रामीणों को साथ लेकर बगरंग पाठ पत्थर को उनके स्थान से उठाकर तालाब किनारे स्थापित करने की कोशिश की। पत्थर वहां रख भी दिया गया, लेकिन सुबह वहां पहुंचने पर पता चला कि पत्थर अपने पुराने स्थान पर पहुंच गया है।

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