संकरी नदी के तट पर आदि काल से स्थापित पंचमुखी शिवलिंग वर्तमान में उमापति पंचमुखी बूढ़ा महादेव के नाम से जाना जाता है। रियासत काल में कवर्धा रियासत के प्रथम राजा महाबली दिवान का महल इसी क्षेत्र में बना था, जिस स्थान पर पंचमुखी शिवलिंग है। यह साधु-संतों की तपोभूमि भी रही है। बूढ़ा महादेव मंदिर में दिव्य पंचमुखी शिवलिंग रियासत काल से भी पूर्व स्वयंभू शिवलिंग है। पांच-पांच मुख वाले शिवलिंग एक-एक ***** में पांच-पांच मुख है। संभवत: देश का एकमात्र कुल 25 लिंगों का अद्भूत शिवलिंग है। साथ ही सांख्य दर्शन के लिए अनुसार भगवान शंकर पंचभूत अर्थात पृथ्वी, जल, अग्नि, आकाश और वायु हैं। पंचमुखी बूढ़ा महादेव के शिवलिंग भी इसी तरह है। माना जाता है कि यह दुर्लभ और अद्वितीय शिवलिंग है, जिसके चलते ही इसकी ख्याति है।