कवर्धा विकासखंड अंतर्गत ग्राम पंचायत मक्के के अश्रित ग्राम बैजलपुर की जनसंख्या लगभग ७०० के आसपास है। यहां ग्रामीणों के प्यास बूझाने के लिए दर्जनभर हैण्डपंप है। भीषण गर्मी के चलते जलस्तर नीचे चले जाने से अधिकतर हैण्डपंप सूख गए हैं। हैण्डपंपों के सूखते ही लोगों के लिए पेयजल व निस्तारी की विकट समस्या खड़ी हो गई है। दूसरा कोई विकल्प नहीं होने के कारण ग्रामीणों को निजी हेंडपंप का सहारा लेना पड रहा है। इसके एवज में राशि खर्च करनी पड़ रही है। प्रतिमाह निर्धारित शुल्क अदा कर पानी का उपयोग कर रहे हैं। ग्रामीण सहदेव यादव, कार्तिक, मनोज, भोला, सुकालू, संतराम व रोहित आदि ने बताया कि गर्मी के दिनों में पानी खरीदकर अपनी प्यास बूझाते हैं।
गांवों में हो रही पेयजल समस्या को दूर करने के लिए पंचायतों में नलजल योजना प्रारंभ कर घरों-घर पानी आपूर्ति की योजना है। ग्राम पंचायत मक्के नलजल योजना से अब तक दूर है। पेयजल किल्लत के बावजूद पंचायत व आश्रित गांव में नलजल योजना प्रारंभ न होना समझ से परे हैं।
गर्मी में गिरते भू-जलस्तर और जलस्त्रोतों का संरक्षण जरूरी है। वह दिन दूर नहीं जब लोगों को पानी के एक बूंद-बूंद के लिए तरसना पड़ सकता है। अगर ऐसा ही रहा तो अन्य गांव के ग्रामीणों को भी पानी खरीदकर पीना पड़ेगा। मैदानी क्षेत्र में इस तरह की समस्या सामने आ रही है, तो वनांचल क्षेत्र के गांवों की स्थिति का सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है।
ग्रामीणों के लिए एकमात्र संकरी नदी भी अब पूरी तरह सूख चुकी है। जिसके चलते आसपास गांव के लोग निस्तारी के संकट से जूझ रहे हैं। मवेशियों के कंठ भी प्यासे हैं। वहीं रबी फसलों के लिए सिंचाई की समस्या उत्पन्न हो गई है।
प्रतिवर्ष गर्मी आते ही जलप्रदाय विभाग की ओर से पानी की बचत और सप्लाई के लिए एक्शन प्लान पर की बात होती है। सीजन शुरू होते-होते समस्याएं तो वही रहती है, लेकिन प्लानिंग कागजों तक ही सिमट कर रह जाते हैं।