शाम 7 बजे एबुंलेंस से महिला को जिला अस्पताल पहुंचाया गया, लेकिन उसे इलाज के लिए अंदर नहीं ले जाया गया। डॉक्टरों ने पहले कोविड टेस्ट की बात कहीं। लगभग एक घंटे तक डॉक्टर द्वारा कोविड टेस्ट की अनुमति नहीं दी गई। तब तक महिला पेट दर्द से अस्पताल के बाहर परिसर एंबुलेंस में तड़पती रही। बावजूद डॉक्टर ने उसे चेक तक नहीं किया। इसी बीच महिला को ऑक्सीजन की आवश्कता पड़ी। काफी देर तक महिला को इलाज नहीं मिल सका, जिसके चलते उनकी श्वास फूलती गई और आखिरकर उसकी मौत हो गई। इस बदइंजामी पर मृतिका के परिजन भड़के और जिला अस्पताल में हंगामा मचाया। काफी देर तक डॉक्टर व स्टाफ के बीच वाद-विवाद होता रहा। इस पर अस्पताल प्रबंधन में पुलिस बल बुला लिया, जिसके बाद मामला शांत हो सका।
मृत महिला के परिजनों ने कोतवाली पुलिस में लिखित शिकायत की, स्वास्थ्यगत कारण से ऑक्सीजन की आवश्यकता थी। इसमें कोविड-19 जांच के लिए कहा गया। इस दौरान डॉ. आयुष अग्रवाल इंचार्ज पर थे। डॉक्टर व स्टाफ मौजूद होने के बावजूद जांच नहीं किया गया। इसके चलते मरीज की मौत हो गई। शिकायतकर्ता परिजन सुरेन्द्र वैष्णव ने डॉक्टर व स्टाफ के खिलाफ जांच करने की मांग की है।
परिजनों ने बताया कि जिला अस्पताल में डॉक्टर और स्टाफ को मरीजों से कोई लेना देना नहीं। 8 बजे महिला की मौत होने के बाद भी उसका एक घंटे तक कोविड टेस्ट नहीं किया जा सका। टेक्निशियन का कहना था कि जब तक डॉक्टर नहीं कहेंगे वह कोविड टेस्ट नहीं कर सकते। काफी वाद विवाद हुआ इसके बाद जांच किया गया, जिसमें रिपोर्ट कोरोना नेगेटिव आया।