scriptचिंताजनक आंगनबाड़ी भवन की हालत, खतरे में बच्चों की जान | Worrisome Anganwadi building condition, children's life in danger | Patrika News

चिंताजनक आंगनबाड़ी भवन की हालत, खतरे में बच्चों की जान

locationकवर्धाPublished: Jan 21, 2019 01:59:15 pm

Submitted by:

Panch Chandravanshi

भवन की दीवारें क्षतिग्रस्त हो चुकीं है। फर्स भी जगह-जगह से उखड़ गए हैं, जिसके चलते आंगनबाड़ी में बच्चों की जान को खतरा बना हुआ है। भवन की मरम्मत को लेकर ग्रामीण कई बार विभाग में आवेदन कर चुके हैं। इसके बाद भी विभागीय अधिकारी की कुंभकरणीय नींद नहीं खुल रही।

Children's lives in danger

Children’s lives in danger

गुढ़ा. ग्राम पंचायत गुढ़ा के आंगनबाड़ी भवन की हालत काफी चिंताजनक हो गई। भवन की दीवारें क्षतिग्रस्त हो चुकीं है। फर्स भी जगह-जगह से उखड़ गए हैं, जिसके चलते आंगनबाड़ी में बच्चों की जान को खतरा बना हुआ है। भवन की मरम्मत को लेकर ग्रामीण कई बार विभाग में आवेदन कर चुके हैं। इसके बाद भी विभागीय अधिकारी की कुंभकरणीय नींद नहीं खुल रही।
कुपोषण से लडऩे के उद्देश्य से शासन आंगनबाड़ी केंद्रों का संचालन कर रही है, लेकिन विभागीय अधिकारी इस उद्देश्य की धज्जियां उड़ा रहे हैं। ग्राम गुढ़ा के वार्ड नंबर ०१ में संचालित आंगनबाड़ी केंद्र को देखने से यह स्पष्ट हो जाता है। आंगनबाड़ी भवन काफी पुराना और जर्जर हो चुका है, जहां मोहल्ले के 33 बच्चे पढऩे के लिए आते हैं। पुराना होने के कारण भवन कमजोर हो गया है। कमरों में फर्स जगह-जगह से उखड़ गए हैं। इसकी दीवारें भी क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं। छत से प्लास्टर उखड़कर नीचे गिरने लगी है, जिसके नीचे बैठाकर बच्चों को पढ़ाते और खाना खिलाते हैं। भवन की हालत दिनोंदिन बिगड़ती जा रही है। बच्चों के सिर पर हमेशा खतरा मंडराता रहता है। हादसे के डर से कई पालकों ने अपने बच्चों को आंगनबाड़ी भेजना बंद कर दिया है। मौजूदा समय में गिने-चुने बच्चे ही आंगनबाड़ी पहुंच रहे हैं। जबकि जर्जर भवन की मरम्मत करना आवश्यक हो गया है।
उपयोग करने लायक नहीं शौचालय
ग्राम पंचायत गुढ़ा स्थित आगनबाडी क्रमांक ०1 में समस्या बढ़ती जा रही है। वर्षों पुराना आंगनबाड़ी का दीवार जर्जर हो चुका है, जो गिरने की स्थिति में आ गया है। साथ ही यहां आज तक बिजली नहीं पहुंच पाई है। शौचालय उपयोग करने के लायक नहीं है और सबसे बड़ी समस्या पास में स्थित हैण्डपम्प पिछले 3 महीने से खराब है। इसके चलते बच्चों के सामने पेयजल की समस्या खड़ी हो गई है।
जिम्मेदार नहीं गंभीर
गांव में आंगनबाड़ी भवन का हाल किसी से छिपा नहीं है। जनप्रतिनिधियों से लेकर विभागीय अधिकारी भी इस बात से अच्छी तरह वाफिक हैं। इसके बाद भी भवन मरम्मत को लेकर कोई कवायद नहीं की जा रही है। ग्राम पंचायत प्रतिनिधि और ग्रामीणों द्वारा भवन की रिपेयरिंग के लिए विभाग को आवेदन दिया गया था, लेकिन कार्रवाई नहीं की गई। इस बात को सालभर से ज्यादा हो गए, लेकिन हालात ज्यों कि त्यों बनी हुई है।
कागजों पर विकास
्रग्रामीण क्षेत्रों के आंगनबाड़ी केंद्रों का संचालन केवल कागजों पर हो रहा है। विभाग के जिम्मेदार तरह-तरह के वादे करते हैं, लेकिन हकीकत इसके बिल्कुल विपरीत ही है। अधिकांश आंगनबाड़ी भवन के लिए जूझ रहें है। वहीं जिनके पास खुद के भवन हैं, उनकी भी हालत काफी अच्छी नहीं है। शासन द्वारा योजना को बढ़ावा देने के लिए करोड़ों रुपए खर्च किए जाते हैं। इसके बाद भी आंगनबाड़ी की तस्वीर नहीं बदी रही है। इसका सबसे बड़ा कारण विभागीय लापरवाही को माना जा रहा है। सही क्रियान्वयन नहीं होने से बच्चों को योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है।
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