scriptभो शम्भो शिवा शम्भो स्वयंभो के नाम रही 5वीं शाम | fifth night of khajuraho dance festival | Patrika News

भो शम्भो शिवा शम्भो स्वयंभो के नाम रही 5वीं शाम

locationखजुराहोPublished: Feb 25, 2016 09:57:00 am

Submitted by:

Widush Mishra

भरतनाट्यम की वास्तविक शैली में बिना छेड़छाड़ के प्रस्तुतिकरण में परिवर्तन सराहनीय रहा। दयानंद सरस्वती द्वारा कंपोज किए गए भो शम्भो शिवा शम्भो स्वयंभो पर भक्तिमयी प्रस्तुति को दर्शकों ने बहुत पसंद किया।

खजुराहो.खजुराहो नृत्य महोत्सव के पांचवें दिन के कार्यक्रम का आगाज देवयानी की भारतनाट्यम की प्रस्तुति से हुआ। भाव, राग और ताल की प्रधानता प्रमुख इस विधा का देवयानी ने बहुत ही सधी हुई भाव-भंगिमाओं के साथ प्रदर्शन किया। हालांकि उम्र के कारण वह गति नहीं दे पाईं, जो भरतनाट्यम में होनी चाहिए।



भरतनाट्यम की वास्तविक शैली में बिना छेड़छाड़ के प्रस्तुतिकरण में परिवर्तन सराहनीय रहा। दयानंद सरस्वती द्वारा कंपोज किए गए भो शम्भो शिवा शम्भो स्वयंभो पर भक्तिमयी प्रस्तुति को दर्शकों ने बहुत पसंद किया। प्रस्तुति का केंद्र भगवान शिव थे। इसके बाद राग करहर प्रिय, ताल अदि पर परफॉर्म किया। अटना राग और रूपक ताल पर थिरुवोत्रियुर किया। अंत में डांस की प्रस्तुति पर स्थल तालियों की गडग़ड़ाहट से गूंज उठा।


रास को समर्पित रही दूसरी प्रस्तुति
दूसरे परफॉर्मर निशी सिंह और वाणी माधव ने कस्तूरी तिलक से शूरी को प्रजेंट किया। इसमें कृष्ण औरा राधा के रास में डूबे नृत्य का मनोहारी प्रदर्शन किया। इसके बाद दोनों कलाकारों ने एक-दूसरे को मौका देते हुए शानदार तरीके से उत्साह के साथ सोलो किया। हालांकि कथक काफी तेज डांस है, वहीं ओडिसी थोड़ा होल किया जाने वाला। पर दोनों कलाकारों ने एक-दूसरे से ताल से ताल मिलाकर कर बखूबी प्रदर्शन किया।


अल्पना ने गुरुओं को समर्पित किया नृत्य
रायगढ़ घराने की शीर्षस्थ नृत्यांगना अल्पना वाजपेयी और उनकी शिष्याओं ने अपनी प्रस्तुति रायगढ़ घराने के मूर्धन्य गुरुओं को समर्पित की। ये वे गुरु हैं जिन्होंने अनेक विषम परिस्थितियों में रहकर रायगढ़ घराने के कथक को जीवंत बनाए रखा। पहली प्रस्तुति शिव माहत्म में परंपरा में स्वीकृत शिव शब्द की अपनी तरह से व्याख्या प्रस्तुत की गई। अल्पना वाजपेयी के साथ सृष्टि गुप्ता, मानसी शर्मा और पारुल सिंह ने परफॉरमेंस किया।



दूसरी प्रस्तुति लाल धमार हुई। जिसमें मुख्यत: रायगढ़ घराने के प्रणेता राजा चक्रधर सिंह के ग्रंथ मुरज पर्ण पुष्पाकर से लिए स्क्रिप्ट को प्रान्जल बोलों पर प्रस्तुत किया गया। इसी शृंखला में रायगढ़ घराने के महान गुरु पंडित कार्तिकराम की प्रिय ठुमरी देखो देखो बिहारी मिश्रपहाड़ी राग और ताल अद्धा तीन ताल पर आधारित तीसरी प्रस्तुति अल्पना द्वारा दी गई। यह ठुमरी लखनऊ घराने में छोड़ो-छोड़ो बिहारी और ठुमरी साहित्य में देखि-देखि के बिहारी की तरह प्रतिष्ठित है। इसमें अल्पना ने अभिनय की तीनों संभावनाओं को चरितार्थ किया है। ठुमरी के बाद तीन ताल गतनिकास, कवित्त और अपने गुरुओं का अंदाज प्रस्तुत किया। इसके बाद कलावती राग आधारित तराना पर परफॉरमेंस दी गई।


अंतिम प्रस्तुति स्वप्न लीला का प्रदर्शन किया गया। जिसे अमरीकी कम्पोजर फिलिप ग्लास ने पंडित रविशंकर के साथ संयोजित किया था। इसमें श्रीकृष्ण की अलौकिक प्रेयसी राधा मिलन स्थल पर की बाट जोहते हुए स्वप्न देखती हैं। तो स्वप्न भी में वही श्रीकृष्ण लीलाएं करते हुए। इन प्रस्तुतियों संयोजन अल्पना वाजपेयी द्वारा किया गया था। तबले पर आशेष उपाध्याय, गायन व लहरें हिंडोल पाण्डसे, पखाबज त्रिलोचन सोना और सारंगी पर गुलाम मोहम्मद ने साथ दिया।

आज इनकी प्रस्तुति
नव किशोर मिश्र- ओडिसी: प्रोफेसर नव किशोर ओडिसी के कलाकार और जाने माने प्रशिक्षक हैं। इन्होंनें ओडिसी का प्रशिक्षण गुरु पंकज चरन दास, गुरु देवा प्रसाद दास, गुरु गंगाधर प्रधान और संजुक्ता पाणिग्रहण से प्राप्त किया है।
शिजीत नाम्बियार एवं पार्वती मेनन- भरतनाट्यम: भरतनाट्यम के बारे में शिजीत नाम्बियार और पार्वती मेनन का मानना है कि यह रसानुभव के आंतरिक आनंद को अनुभव करने का बौद्धिक अनुसरण है।
दीपिका रेड्डी एवं साथी- कुचिपुड़ी: दीपिका रेड्डी प्रख्यात कलाकार, नृत्य निर्देशिका और समर्पित गुरु हैं। कुचिपुड़ी की समकालीन हस्तियों में एक नाम इनका भी है। दीपिका नृत्य विद्यालय दीपांजली में 160 से ज्यादा शिष्यों को प्रशिक्षण दे रही हैं।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो