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खजुराहो में है रहस्य, बनी हैं 3, 5 और 9 हाथ की मूर्तियां

locationखजुराहोPublished: Mar 05, 2016 12:55:00 pm

Submitted by:

Widush Mishra

mp.patrika.com आपको बता रहा है खजुराहो को लेकर आपके मन में उमडऩे वाले उन तमाम सवालों के जवाब, जिनसे अब तक आप अनजान हैं…

खजुराहो इन दिनों पर्यटकों की आमद से गुलजार है। रोजाना यहां सैकड़ों देशी-विदेशी पर्यटक पहुंच रहे हैं। यहां की मूर्तियों को अब तक कामकला का ही नमूना माना जाता है, लेकिन इन मूर्तियों में कई अदृश्य संदेश छुपे हुए हैं।

ये मूर्तियां स्त्री शिक्षा बताती हैं। देवत्व की भावना सिखलाती हैं। शिल्पकला का विशाल दायरा समझाती हैं। उस काल की शीर्षासन मूर्तिकला को भी प्रदर्शित करती हैं। ये दिखाती हैं कि सेक्स न तो रहस्यपूर्ण है न ही पशुवृत्ति। सेक्स न पाप है न पुण्य।

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इन्हें देखकर आपके मन में सहज की ये सवाल उठते हैं कि चंदेल राजाओं द्वारा बसाए गए इस नगर के विश्व प्रसिद्ध मंदिरों की क्या विशेषता है? कैसे बनी थीं यहां की मूर्तियां? क्या करते थे शिल्पकार? मूर्तियों में जान डालने के लिए तब क्या-क्या होते थे जतन…? आइए mp.patrika.com आपको बता रहा है खजुराहो को लेकर आपके मन में उमडऩे वाले उन तमाम सवालों के जवाब, जिनसे अब तक आप अनजान हैं…

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घंटों पूजा करते थे शिल्पकार
खजुराहो का हर मंदिर चंदेल राजाओं के गौरवशाली इतिहास का प्रतीक तो है ही, मंदिरों की शिल्पकला भी अद्भुत, अकल्पनीय और अविस्मरणीय है। यहां की हर मूर्ति बोलती सी प्रतीत होती है। ऐसा कहा जाता है कि मंदिर बनाने से पहले शिल्पकार घंटों पूजा-अर्चना करते थे। उन पत्थरों को भी भोग लगाया जाता था, जिन्हें वे तराशकर प्रतिमा बनाते थे। फिर अपने को एकाग्रचित्त करके अपने दिमाग में मंदिर का खाका तैयार करते थे। उन शिल्पकारों को ईश्वरीय शक्तियां भी प्रदान थीं, जिसके कारण वे जो सोचते थे, वह रच जाता था।

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मथुरा विद्यालय के कारीगरों ने बनाए थे खजुराहो के मंदिर
यूं तो प्राचीन भारत में शिल्पकला के कई प्रमुख विद्यालय हुए लेकिन उनमें गंधार, मथुरा और अमरावती के विद्यालय प्रमुख थे। खजुराहो के मंदिर मथुरा विद्यालय के कारीगरों ने बनाए थे। मूर्तिकारों ने प्रतिमाओं को छ: युग्म (जोड़ा) में बांटा था। इसकी भी अपनी विशेषता थी। जिसमें मूर्ति की ऊंचाई क्रमश: तीन, पांच और नौ हाथ तय की गई थी।


अगली किश्त में पढ़िए कलाकार कैसे लाते थे मूर्ति में जान और कौन सी मूर्तियाँ हैं खास….

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