इस दिन होगा यह खास
इस दिन देवोत्थान एकादशी है और तुलसी विवाह का मांगलिक पर्व है। संतों का चातुर्मास भी इसी दिन समाप्त होगा। एकादशी आते ही विवाह आदि मांगलिक कार्यों पर चार महीनों से लगा अंकुश भी खत्म हो जाएगा।सात दिसंबर को गुरु पूर्व में अस्त हो जाएंगे, लेकिन शुक्र जागरण इस साल नहीं होगा। ज्योतिष श्याम किशोर शर्मा के अनुसार, इस घटना का सभी राशियों बुरा प्रभाव पड़ सकता है। विष्णु जागरण के चलते शुक्र के अस्त होने का प्रभाव नहीं पड़ेगा। शास्त्रीय मान्यताओं के अनुसार देवताओं के गुरु बृहस्पति हैं और राक्षसों के गुरु शुक्राचार्य हैं।
ग्रहीय समन्वय उत्पन्न करती है इन दोनों की उपस्थिति
आकाश में इन दोनों की उपस्थिति ग्रहीय समन्वय की स्थिति उत्पन्न करती है। दोनों गुरुओं के रहते आकाश की बाधाएं स्वत मिटती रहती हैं। यदि देव जागरण न होता तो यह स्थिति धरती पर भारी पड़ती। ज्योतिषाचार्य पंडित हरिदेव जोशी के अनुसार ग्रहों का मनुष्य के जीवन पर भारी प्रभाव पड़ता है। कुछ प्रभाव राशियों के अनुसार होता है तो कुछ समग्रता को प्रभावित करता है। उन्होंने बताया कि विष्णु के जागरण के बाद सभी प्रकार की बाधाएं पूरी तौर पर खत्म हो जाती हैं। राजा बलि को दिया वचन निभाने आषाढ़ शुक्ल पक्ष में भगवान विष्णु पाताल गए थे और धरती पर शिव का साम्राज्य हो गया था। अब फिर संपूर्ण सत्ता विष्णु के हाथ में आ जाएगी।