scriptभगवान शिव की मरकत मणि पर स्थित है मतंगेश्वर महादेव मंदिर | Matangeshwar Mahadev Temple is situated on the turquoise gem of Lord S | Patrika News

भगवान शिव की मरकत मणि पर स्थित है मतंगेश्वर महादेव मंदिर

locationखजुराहोPublished: Aug 16, 2021 11:45:32 am

Submitted by:

Hitendra Sharma

पौराणिक महत्व के मंदिर में सदियों से रोजाना होती है पूजा।

matangeshwar_mahadev_khajurao.jpg

छतरपुर. खजुराहो का मतंगेश्वर महादेव मंदिर को शिव की मरकत मणि पर स्थापित मानता जाता है। पौगाणिक कथाओ मे इसका वर्णन है। जिसके अनुसार भगवान शंकर के पास मरकतल मणि थी, जिसे शिव ने युधिष्ठिर को दिया था। युधिप्ठिर के पास से यह मणि मतंग ऋषि के पास पहुंची।

Must See: Sawan Somvar 2021 महाकाल मंदिर में दर्शन के लिए बना स्पेशल शेड्यूल

मतंग ऋषि ने राजा हर्षवर्मन को दे दी। मतंग ऋषि की मणि की वजह से ही इनका नाम मतंगेश्वर महादेख पड़ा, क्योंकि शिवलिंग के बीच मणि सुरक्षा की दृष्टि से जमीन मे गाढ़ दी गई थी। तब से मणि शिवलिंग के नीचे ही है।

खजुराहो में तंमेश्वर महादेव मंदिर ही एक ऐसा मंदिर है, जहां शिव की पूजा सदियों से रोजाना होती आई है। इस मंदिर की दीवारों पर पश्चिमी समृह के मंदिरों की तरह आकृतिया भी नहीं है। यह एक मात्र मंदिर धार्मिक महत्व का विशेष स्थान है। आस्था के इस केंद्र पर सावन और महाशिवरात्रि पर अपर जनसैलाव उमड़ता है।

Must See: रेलवे स्टेशन पर महाकाल का प्रसाद, इन जगहों पर भी मिलेंगे लड्डू

925 ईसवी के शिवालय में 8.5 फीट ऊंचा शिवलिंग
मतंगेश्वर महादेव दुनिया के विशाल शिवलिंग में से एक हैं। खजुराहो के पश्चिमी समूह के मंदिरों के पास में लक्ष्मण के पास 925 ईसवी में भगवान शिव की मरकत मणि पर इस शिव मंदिर की स्थापना की गई थी। मतंग मुनि ने चंदेल राजा हर्षवर्मन को मणि देकर मंदिर की स्थापना कराई थी। मंदिर के गर्भगृह में विशाल शिवलिंग है जो 85 फीट ऊंचा है। इसका घेरा तकरीयन 4 फीट का है।

Must See: अनूठा नाग मंदिरः नाग पंचमी पर एक बार ही 24 घंटे के लिए खुलता है मंदिर

चंदेल कालीन स्थापत्य कला का नायाब उदाहरण
मंदिर 37 फीट के वर्गाकार दायरे में है। इसका गर्भगृह भी वर्गाकार है। प्रवेश द्वार पूर्व दिशा की और है। मंदिर का शिखर बहुम॑जिला है। इसका निर्माण काल 900 से 9255 ई के आसपास का माना जाता है। चंदेल शासके हर्षवर्मन के काल में इस मंदिर का निर्माण हुआ था। मंदिर की छत बहुम॑जिली तथा पिरामिड आकार की है। इसकी कुर्सी इतनी ऊंची है कि अधिष्ठान तक आमे के लिए अनेक सीड़ियां चड़नी पड़ती हैं।

Must See: 7 राशिवालों की चमकेगी किस्मत, जानें कैसा रहेगा आपका सावन का आखिरी सोमवार?

ये मंदिर खार-पत्थर से बनाया गया है। गर्भगृह समाकक्ष में वतायन छज्जों से युक्त है। इसका कक्ष वर्गाकार है। मध्य बंध अत्यंत सादा, पर विशेष है। इसकी ऊंचाई को सादी पट्टियों से तीन भागों में बांटा गया है। स्तंभो का ऊपरी भाग कही-कहीं बेलबूटों से सजाया गया है। जो वित्तान भीतर से गोलाकार है।

https://www.dailymotion.com/embed/video/x83e2jo
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो