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12 ज्योतिर्लिंगों में सबसे अनोखा है ओंकारेश्वर शिवलिंग, जो शिखर के नीचे नहीं

locationखंडवाPublished: Dec 29, 2016 01:20:00 pm

Submitted by:

Editorial Khandwa

मध्यप्रदेश के जिले खंडवा के ओंकारेश्वर में जो शिवलिंग है, वह 12 ज्योतिर्लिंगों में सबसे अनोखा माना जाता है। इसलिए यदि सभी तीर्थ करने के बाद ओंकार के दर्शन नहीं किए तो उन्हे तीर्थ करने का फल नहीं मिलता। इस मंदिर में सबसे विशेष बात यह है कि सभी मंदिरों में शिवलिंग का गर्भगृह शिखर के नीचे रहते हैं लेकिन ओंकारेश्वर में ऐसा नहीं है…

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खंडवा@पत्रिका
 नर्मदा किनारे बसा ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग एक मात्र ऐसा स्थान है जहां शिवलिंग मंदिर की शिखर के नीचे नहीं है। दुनियां में जितने भी मुख्य मंदिर हैं, उनमें से केवल ओंकार शिव ही मंदिर के दक्षिण में विराजित हैं। मंदिर बहुत पुराना है, इसलिए इसके तथ्यात्मक प्रमाण नहीं हैं। पुराणों के आधार पर इसकी कई कथाएं हैं जो नर्मदा से जुड़ी हुई हैं।
वहीं साधु संतों का कहना है कि शिवलिंग तो स्वयंभू है लेकिन मंदिर का निर्माण इस तरह किया गया कि भगवान शिव शिखर के नीचे नहीं आ सके।

साधु संत व पंडि़तों का कहना है कि ओंकारेश्वर का महत्व सभी 12 ज्योतिर्लिंगों में सबसे अधिक मना जाता है। सभी तीर्थ करने के बाद जब तक ओंकार शिव के दर्शन और अन्य तीर्थों के जल से स्नान न करवाओ तब तक तीर्थ करने का पुण्य नहीं मिलता है।

 कौरव-पांडवों ने बनवाया था मंदिर
नर्मदाविद् व कॉलेज के रिटायर्ड प्रचार्य श्री राम परिहार का कहना है कि स्कंद पुराण के रेवा खंड में ओंकारेश्वर मंदिर का वर्णन है कि यहां पांडव काल के समय यहां मंदिर नहीं था। इस दौरान कौरवों ने मंदिर का निर्माण पूर्व की तरफ द्वार करके कराया था,
लेकिन पांडवों ने इसे घुमाकर पश्चिम की तरफ कर था, यह निर्माण एक रात में ही किया था। ऐसा भी माना जाता है कि मंदिर को घुमाने के दौरान शिवलिंग अपने स्थान से नहीं हिले वे वहीं रहे लेकिन मंदिर घूम गया।

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