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खंडवा

5वीं की परीक्षा दूसरे स्कूल के शिक्षक लेंगे, 8वीं कक्षा की परीक्षा के लिए बदलेगा सेंटर

बदलाव का दौर… 5वीं-8वीं को फिर से बोर्ड पैटर्न पर किए जाने का इस तरह पड़ेगा असर, शिक्षकों को बदलाव आसानी से समझ में आए इसलिए वर्चुअल क्लास में दे रहे टिप्स।

खंडवाDec 04, 2019 / 12:25 pm

अमित जायसवाल

BOARD EXAM : नई परीक्षा प्रणाली को लेकर उलझन, बोर्ड को देना पड़ा स्पष्टीकरण

BOARD EXAM : नई परीक्षा प्रणाली को लेकर उलझन, बोर्ड को देना पड़ा स्पष्टीकरण

खंडवा. 5वीं और 8वीं की परीक्षाएं एक बार फिर से बोर्ड पैटर्न पर होने जा रही है। इसमें बदलाव भी कई हो रहे हैं। 5वीं के विद्यार्थियों की परीक्षा तो उसी स्कूल में होगी, जहां वे अध्ययनरत हैं लेकिन परीक्षा में ड्यूटी दूसरे स्कूल के शिक्षकों की लगेगी। जबकि 8वीं कक्षा के विद्यार्थियों को परीक्षा देने दूसरे स्कूल में बने सेंटर पर जाना होगा।
बोर्ड पैटर्न पर इन कक्षाओं की परीक्षाएं होंगी, इसकी घोषणा हाल ही में की गई है इसलिए तैयारियों के लिए सिर्फ दिसंबर, जनवरी और फरवरी के महीने ही मिले हैं। ऐसे में छात्र-छात्राओं की विषयों में कठिनाइयां दूर करने से पहले संबंधित शिक्षकों के लिए उन्मुखीकरण कार्यक्रम चलाया जा रहा है। जिला मुख्यालय के उत्कृष्ट स्कूल में वर्चुअल क्लास के माध्यम से ट्रेनिंग दी जा रही है। पिछले सप्ताह मिडिल स्कूल के शिक्षकों की टे्रनिंग होने के बाद सोमवार से प्राइमरी के शिक्षकों की ड्यूटी लगाई गई है। दोपहर 1.30 बजे से शाम 5 बजे तक इस पूरे सप्ताह अलग-अलग संकुल के शिक्षकों को यहां ट्रेनिंग दी जाएगी।
सीधे भोपाल से होते हैं कनेक्ट

5वीं-8वीं के शिक्षक-शिक्षिकाओं को वर्चुअल क्लास के माध्यम से ट्रेनिंग दी जा रही है। सीधे भोपाल से कनेक्ट कर विषय विशेषज्ञों के माध्यम से ट्रेनिंग दिलाई जा रही है। प्रभारी रश्मि तिवारी ने बताया कि इसके माध्यम से सभी को बदले हुए पैटर्न के हिसाब से तैयारी कराने की सीख मिलेगी।
ये भी जानिए…
– 5वीं में 30 फीसदी मौखिक व 70 फीसदी लिखित होता था और 8वीं में 90 फीसदी लिखित व 10 फीसदी मौखिक होता था।
– अब 5वीं में भी 10 फीसदी मौखिक व 90 फीसदी लिखित होगा, क्योंकि 33 फीसदी अंक लाने पर तो विद्यार्थी उत्तीर्ण ही हो जाते हैं।
– इंग्लिश सबसे ज्यादा कमजोर है इसलिए निबंध, एप्लीकेशन, लेटर, अनसीन पैसेज व राइटिंग स्कील सहित प्रश्नोत्तर व पोयम पर ध्यान दे रहे हैं।
और इधर, सुपर-1000 मिशन को जिले में बड़ा झटका
सरकारी स्कूलों का रिजल्ट बेहतर करने के साथ ही वहां की अधोसंरचनात्मक स्थिति को सुदृढ़ करने की सोच के साथ शुरू की किए गए सुपर-1000 मिशन को जिले में बड़ा झटका लगा है। यहां ऐसे स्कूलों का चयन किया गया है, जिनका नाम तो बड़ा है लेकिन हालात बहुत कमजोर। त्रेमासिक परीक्षा में ही ये स्कूल 50 फीसदी से कम रिजल्ट पर रूक गए। इतना ही नहीं, किसी स्कूल में महज 12 तो कहीं 14 फीसदी रिजल्ट आया है। मिशन के तहत चयनित स्कूलों में 16 ऐसे हैं, जो रिजल्ट में कमजोर साबित हुए हैं। कलई खुलने के बाद अब इन स्कूलों के शिक्षक-शिक्षिकाओं को रिजल्ट बेहतर करने के तरीके सिखाए जा रहे हैं। इन्हें बताया जा रहा है कि किस तरह इस मिशन की अवधारणा को साकार किया जाना है।
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