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जिलाध्यक्ष पद के लिए इनका नाम, मुहर के लिए चाहिए सांसद का साथ

locationखंडवाPublished: Nov 19, 2019 11:38:13 am

मंडल में विधायक के बाद अब जिले में सांसद की पसंद के चेहरे पर ही लगेगी मुहर, इसी महीने ताजपोशी संभव, 50 की उम्र का फॉर्मूला करेगा काम, नए चेहरों के बीच बढ़ी रस्साकसी

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खंडवा. मंडल में विवादों का संकट टल गया क्योंकि पसंद के चेहरों पर मुहर लगी तो फिर सत्ता के सामने संगठन की भी आवाज न निकली। अब जिलाध्यक्ष पद के दावेदारों के बीच खींचतान बढ़ेगी। हालांकि यहां भी सबकुछ पूर्व निर्धारित स्क्रिप्ट पर ही होने की आशंका है, क्योंकि मंडल में विधायक के बाद अब जिले में सांसद की पसंद के चेहरे पर ही मुहर लगने के पूरे आसार हैं।
भाजपा के संगठन में चुनाव की रस्म अदायगी हो रही है, ये साफ हो गया तब, जबकि मंडल अध्यक्षों की सूची सामने आई। इसमें विधायकों के चेहतों को ही जगह मिली है। खंडवा, पंधाना सहित हरसूद में देखने को मिला है। यानी सत्ता के इशारे पर ही संगठन का चलना तय हो गया है, जो कि घड़ी के कांटों का उल्टी दिशा में चलने की तरह ही होगा। इस बीच एक खास बात ये रही कि मंडल अध्यक्षों के लिए 35 से 40 की उम्र सीमा का जो बैरिकेड लगाया था, उसका पालन हुआ है। यानी तस्वीर साफ नजर आ रही है कि जिलाध्यक्ष पद के लिए भी अंडर-50 के फॉर्मूले पर सौ फीसदी पालन हो सकता है। वर्षों से जमे चेहरे पद की दौड़ में पिछड़ेंगे तो वहीं दूसरी पीढ़ी के लोगों को मौका मिलेगा। ये विशेष रहेगा कि इस पद पर सांसद नंदकुमारसिंह चौहान की पसंद ही काबिज होगी।
इन चेहरों की इसलिए दावेदारी
1. राजपाल सिंह तोमर
प्लस: जिपं अध्यक्ष रह चुके हैं, साफ-सुथरी छवि। सांसद के विश्वासपात्र में से एक।
माइनस: पंधाना विधायक से समर्थन मिलने में आ सकती है दिक्कत, क्योंकि पूर्व विधायक का इन्हें था साथ।
2. अरुण सिंह
प्लस: निगम में एल्डरमेन रहने से लेकर अन्य पद पर रहे। सांसद के चुनाव का मैनेजमेंट संभाला।
माइनस: राजनीतिक कॅरियर में खेमा बदल चुके हैं, इसलिए सांसद के विश्वास को पद के लिए जीतने की चुनौती।
3. त्रिलोक यादव
प्लस: पद के लिए कभी-भी किसी न तो व्यक्तिगत न राजनीतिक मंच पर इच्छा जाहिर की। बेदाग छवि।
माइनस: राजनीतिक द्वेषता के चलते पार्टी के ही कुछ लोग सहयोग न करेंगे। सांसद की पसंद में भी अग्रणी नहीं।
4. राजपाल सिंह चौहान
प्लस: जनपद पंचायत अध्यक्ष रह चुके हैं। वक्तृत्व-कला यानी प्रभावशाली ढंग से बात रखने की कला में माहिर।
माइनस: खंडवा विधायक से इनकी राजनीतिक उठापटक, गुटबाजी के फेर में सांसद की पसंद में भी पिछड़े।
5. नंदन करोड़ी
प्लस: वर्तमान में जिला उपाध्यक्ष, जिले के संगठन से परिचित, वर्तमान जिलाध्यक्ष का भी मिलेगा साथ।
माइनस: अनुभव के मामले में अन्य के मुकाबले कमजोर, वरिष्ठों से इस नाम पर आपत्ति आने की आशंका।
6. श्याम सिंह मौर्य
प्लस: युवा हैं और भाजयुमो जिलाध्यक्ष रहते हुए कुछ ग्रोथ की है। युवा चेहरे में हो सकते हैं विकल्प।
माइनस: सभी पक्षों से अभी सपोर्ट मिलना मुश्किल, जिलास्तर की राजनीति में पैठ बनाने में लगेगा समय।
उम्र का फेर इन पर पड़ रहा भारी
मंडल अध्यक्ष में 35 से 40 के फॉर्मूले का पालन होने के बाद अब ये कयास लग रहे हैं कि जिलाध्यक्ष पद के लिए भी अंडर-50 का पूरा पालन होगा। ऐसे में वर्तमान जिलाध्यक्ष हरीश कोटवाले के फिर से इस पद पर विराजमान होने के आसार कम ही हैं। वरिष्ठ नेता कैलाश पाटीदार, सुभाष कोठारी, राजेश डोंगरे, दिनेश पालीवाल, त्रिलोक पटेल, संतोष राठौर के नाम भी इसी फेर में कमजोर पड़ सकते हैं।
– पार्टी के निर्देशों का पालन
पार्टी के निर्देशों का पालन कर रहे हैं। जिसकी वजह से मंडल चुनाव में कहीं कोई बहसबाजी, विवाद की स्थिति नहीं बनी। सबकुछ शांतिपूर्ण तरीके से हुआ। अब जिलाध्यक्ष पद के लिए भी वरिष्ठ स्तर से मिले निर्देशों पर ही चलेंगे। 30 नवंबर तक का जिलाध्यक्ष पद के चुनाव होना भी संभावित है।
हरीश कोटवाले, जिलाध्यक्ष, भाजपा
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