फिलहाल इस सॉफ्टवेयर को ट्रेनिंग के लिहाज से ब्लड बैंकों में अपलोड किया गया है। दो माह में इसे समझ लेने के बाद इसमें जानकारी लोड करने का काम शुरू हो जाएगा। जिले मेंं कहीं भी, कभी भी, किसी को भी, किसी भी ब्लड ग्रुप की जरूरत होगी, उसे भटकना नहीं पड़ेगा। बस एक क्लिक के जरिए नजदीकी ब्लड बैंक और वहां उपलब्ध यूनिट की जानकारी हासिल कर सकेगा। प्रदेशभर में जिला स्तर पर ई-रक्तकोष पोर्टल के जरिए सभी ब्लड बैंक को जोडऩे के लिए यह कवायद की गई है।
खरगोन जिला अस्पताल के ब्लड बैंक इंचार्ज डॉ. रत्नेश महाजन के मुताबिक अभी तक ब्लड बैंक और स्टोरेज में कितने यूनिट ब्लड हैं, किस ग्रुप का ब्लड उपलब्ध है, इसकी जानकारी आम लोगों को नहीं हो पाती थी। खरगोन में हर दिन लगभग ३० से ४० यूनिट रक्त लग जाता है। ज्यादातर लोगों को इसकी पूरी जानकारी नहीं होती। इस स्थिति को आसान बनाने के लिए ही ई रक्तकोष शुरू किया जा रहा है। फिलहाल यह प्रदेशस्तर पर हर जिले में चलेगा। जिले के ब्लड बैंक और स्टोरेज सेंटर आपस में लिंक होंगे। इसके बाद धीरे धीरे जिलों को भी आपस में लिंक कर दिया जाएगा।
इसका फायदा यह होगा कि प्रदेश में कोई कहीं से भी संबंधित जिले या दूसरे जिले में रक्त की उपलब्धता जान सकेगा। इसमें सरकारी और प्राइवेट ब्लड बैंक और स्टोरेज सेंटर भी जोड़े जाएंगे। डॉ. महाजन कहते हैं इसमें सप्लाई और डिमांड भी ऑन लाइन हो सकेगा। फिलहाल इसका ऑब्र्जवेशन भोपाल से किया जाएगा।
मोबाइल एप भी है उपलब्ध
यह पोर्टल मोबाइल एप के जरिए भी लोगों के पास होगा। कोई कहीं भी बैठकर ब्लड बैंक की स्थिति का पता लगा सकेगा। नजदीकी ब्लड बैंक की जानकारी उसे मिल जाएगी। ई रक्त कोष पोर्टल पर फिलहाल ट्रेनिंग ली जा रही है। इसमें कम से कम दो माह का वक्त लगेगा। इसके बाद ऑन लाइन अपडेशन शुरू हो जाएगा।
यह पोर्टल मोबाइल एप के जरिए भी लोगों के पास होगा। कोई कहीं भी बैठकर ब्लड बैंक की स्थिति का पता लगा सकेगा। नजदीकी ब्लड बैंक की जानकारी उसे मिल जाएगी। ई रक्त कोष पोर्टल पर फिलहाल ट्रेनिंग ली जा रही है। इसमें कम से कम दो माह का वक्त लगेगा। इसके बाद ऑन लाइन अपडेशन शुरू हो जाएगा।
वर्जन
इस पोर्टल के बाद समस्याओं का निराकरण हो जाएगा। थैलीसिमिया से पीडि़त बच्चों के लिए रक्त की उपलब्धता आसानी से पता चल जाएगी। लोगों को समय पर ब्लड मिलने की उम्मीदें बड़ जाएगी। एक दिक्कत यह आएगी कि इस सॉफ्टवेयर में गलत इंट्री हो गई तो इसे सुधारने का विकल्प नहीं है। यह काम बहुत एहतियात से करना होगा।
डॉ. रत्नेश महाजन, ब्लड बैंक इंचार्ज, खरगोन
इस पोर्टल के बाद समस्याओं का निराकरण हो जाएगा। थैलीसिमिया से पीडि़त बच्चों के लिए रक्त की उपलब्धता आसानी से पता चल जाएगी। लोगों को समय पर ब्लड मिलने की उम्मीदें बड़ जाएगी। एक दिक्कत यह आएगी कि इस सॉफ्टवेयर में गलत इंट्री हो गई तो इसे सुधारने का विकल्प नहीं है। यह काम बहुत एहतियात से करना होगा।
डॉ. रत्नेश महाजन, ब्लड बैंक इंचार्ज, खरगोन