ऑक्सीजन की कमी से थम रही सांसें, कोविड अस्पताल में बेड नहीं
खंडवाPublished: Apr 16, 2021 11:26:08 am
मरीजों की भर्ती भी बंद वेंटिलेटर पर स्वास्थ्य सुविधाएं… कोविड अस्पताल के बाहर तड़प रहे मरीज, कोई देखने वाला नहीं
Breathing stopped due to lack of oxygen, Kovid did not have beds in th
खंडवा. कोविड अस्पताल में व्यवस्थाएं गुरुवार शाम वेंटिलेटर पर पहुंच गई। यहां ऑक्सीजन सिलेंडर खत्म हो गया, ऑक्सीजन बेड फुल हो गए और अस्पताल प्रबंधन ने मरीजों को भर्ती करना भी बंद कर दिया। मरीज को लेकर पहुंचे परिजन बाहर गुहार लगाते रहे, लेकिन मरीज को भर्ती नहीं किया गया। बेबस मरीज और परिजन अस्पताल के बाहर ही देर रात तक बैठे रहे, लेकिन कोई सुध लेने नहीं पहुंचा। सूत्रों के मुताबिक जंबो सिलेंडर ले जाकर मरीजों को ऑक्सीजन लगाई जा रही है। अस्पताल प्रबंधन के पास कितनी ऑक्सीजन बची है, इसकी भी कोई जानकारी नहीं दे रहा है।केस एक- दो घंटे से बैठे, भर्ती नहीं कर रहे
छनेरा निवासी रवि सिंह नागोरे को सांस लेने में तकलीफ के चलते उनकी पत्नी बसंती बाई और बेटा संदीप नागोरे कोविड अस्पताल भर्ती कराने लेकर आए। यहां रात 8 बजे से आए मरीज को गेट पर बैठे सुपरवाइजर ने अंदर लेने से मना कर दिया। सुपरवाइजर का कहना था कि डीन का आदेश है, किसी को भी भर्ती न किया जाए, यहां ऑक्सीजन बेड खाली नहीं है। जिसके बाद मां-बेटे, बीमार मरीज को लेकर कोविड अस्पताल के बाहर ही बैठे रहे। रात 10 बजे तक भी मरीज को भर्ती नहीं किया गया।ऑक्सीजन टैंक खाली, जंबो सिलेंडर भी कमकोविड अस्पताल में ऑक्सीजन संकट गहराया हुआ है। बुधवार को टैंकर आया था, जिससे सिर्फ 6.5 केएल ऑक्सीजन मिली थी। वहीं, जंबो सिलेंडर की संख्या भी कम थी। 400 सिलेंडर रिफिल के लिए भेजे गए थे, लेकिन वो भी गुरुवार रात तक नहीं आए। वहीं, टैंकर भी आने की संभावना कम ही है। रात को ऑक्सीजन के लिए कंसंटेटर लगाकर, जंबो सिलेंडर अस्पताल में ले जाकर ऑक्सीजन लगाई जा रही थी। बताया जा रहा है कि शाम से लेकर रात 10 बजे तक 4 मरीजों की मौत हो चुकी थी, हालांकि इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है।
ऑक्सीजन संकट शुरू होते ही कोविड अस्पताल में भर्ती कई मरीजों को ठीक बताते हुए डिस्चार्ज कर दिया गया। सूत्रों के मुताबिक शाम 6 बजे से लेकर रात 8 बजे तक यहां से 20 मरीजों को छुट्टी दे दी गई थी। इसमें कई मरीजों और परिजन ने विरोध भी किया कि उनकी हालत ठीक नहीं है, लेकिन अस्पताल प्रबंधन ने किसी की नहीं सुनी।