गर्माहट के कारण आने लगता है बुखार
उन्होंने बताया कि जो बच्चें जन्म से 28 दिवस के होते हैं वो नवजात शिशु कहलाते हैं और यह नवजात शिशुओं का पहला माह अत्यधिक जोखिम वाला होता है, इसलिए पहले माह में वैसे ही अत्यधिक ध्यान रखने की आवश्यकता होती है। ऐसे में गर्मी के कारण शरीर में होने वाली पानी की कमी तथा वातावरण की गर्माहट के कारण नवजात शिशुओं को बुखार आने लगता है। इसी क्रम में इनके शरीर में नमक की कमी तथा अन्य इलेक्ट्रोलाइट्स भी अपने मापदंड से भिन्न हो जाते हैं, जिससे नवजात शिशुओं की जान खतरे में पड़ जाती है जिससे नवजात शिशुओं को बचाना अति आवश्यक हो जाता है।
उन्होंने बताया कि जो बच्चें जन्म से 28 दिवस के होते हैं वो नवजात शिशु कहलाते हैं और यह नवजात शिशुओं का पहला माह अत्यधिक जोखिम वाला होता है, इसलिए पहले माह में वैसे ही अत्यधिक ध्यान रखने की आवश्यकता होती है। ऐसे में गर्मी के कारण शरीर में होने वाली पानी की कमी तथा वातावरण की गर्माहट के कारण नवजात शिशुओं को बुखार आने लगता है। इसी क्रम में इनके शरीर में नमक की कमी तथा अन्य इलेक्ट्रोलाइट्स भी अपने मापदंड से भिन्न हो जाते हैं, जिससे नवजात शिशुओं की जान खतरे में पड़ जाती है जिससे नवजात शिशुओं को बचाना अति आवश्यक हो जाता है।
शरीर का तापमान सामान्य बना रहे
शिशु रोग विशेषज्ञ ने बताया कि नवजात शिशुओं को दिन के समय थोड़े ठण्डे स्थान पर रखें जिससे कि उनके शरीर का तापमान सामान्य बना रहे। पर्याप्त मात्रा में दूध पिलाएं जिससे उनके शरीर में शर्करा तथा नमक की मात्रा बराबर बनी रहे। माता को पर्याप्त मात्रा में दूध आए इसके लिए मां को पर्याप्त पानी पीना आवश्यक है, पर्याप्त भोजन लेना आवश्यक है, पर्याप्त निंद्रा लेना आवश्यक है, माता को किसी प्रकार की चिंता नहीं करना चाहिए।
शिशु रोग विशेषज्ञ ने बताया कि नवजात शिशुओं को दिन के समय थोड़े ठण्डे स्थान पर रखें जिससे कि उनके शरीर का तापमान सामान्य बना रहे। पर्याप्त मात्रा में दूध पिलाएं जिससे उनके शरीर में शर्करा तथा नमक की मात्रा बराबर बनी रहे। माता को पर्याप्त मात्रा में दूध आए इसके लिए मां को पर्याप्त पानी पीना आवश्यक है, पर्याप्त भोजन लेना आवश्यक है, पर्याप्त निंद्रा लेना आवश्यक है, माता को किसी प्रकार की चिंता नहीं करना चाहिए।