आंदोलन में भीकनगांव क्षेत्र के किसानों ने सिंचाई के लिए पानी दिए जाने की मांग रखी। किसानों ने जनप्रतिनिधियों के समक्ष ही अफसरों को खूब खरी-खोटी सुनाई। किसान बोले- हमें किसी भी कीमत पर छिर्वा तालाब से पानी दिया जाएं। पानी नहीं मिलने से फसल पैदा नहीं कर सकेंगे। किसान उत्पादन नहीं करेगा तो आप लोग क्या खाओगे।
मुआवजा
– निमाड़ की मुख्य फसल कपास पर सितंबर माह में वर्षा से गुलाबी इल्ली का प्रकोप हुआ। करीब पचास प्रतिशत फसल खराब हो गई। मिर्च की फसल पर भी वायरस ने अटैक कर दिया। इस प्राकृतिक मार पर किसानों को अब तक कोईराहत नहीं मिली।
– सरकार ने अब तक किसानों का कर्ज माफ नहीं किया हैं। राष्ट्रीयकृत बैंकों का 2 लाख 21 हजार रोड़ रुपए का ऋण केंद्र सरकार ने बैंकों को दिया। सरकार ने उद्योगपतियों का कर्जा माफ किया। किसानों के कर्ज को माफ कर उन्हें राहत दी जाएं।
गुजरात में मक्का 1400 रुपए से दाम अधिक दर पर बिक रही हैं। वहीं कपास पर भी पांच सौ रुपए बोनस की घोषणा की गई हैं। गुजरात के किसानों को इन दोनों ही योजनाओं का लाभ मिल रहा हैं, जबकि प्रदेश के किसानों से इसमें भेदभाव हो रहा हैं।