खंडवा. कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में सबसे ज्यादा असर ग्रामीण क्षेत्रों में देखने को मिला था। गांवों से आए मरीज ज्यादा गंभीर हालत में अस्पताल पहुंचे थे। किल कोरोना अभियान, आरआरटी, सर्वे दलों के गांवों में लगातार सर्वे के बाद भी झोलाछाप डॉक्टरों द्वारा इलाज किया जा रहा है। बिना प्रशासन को जानकारी दिए कोरोना संदिग्धों का इलाज करने और स्थिति गंभीर होने के बाद झोलाछाप डॉक्टर मरीजों को अस्पताल पहुंचा रहे है। शनिवार को जिला अस्पताल के फीवर क्लीनिक में ऐसे ही पांच केस आए, जिनमें सभी को भर्ती करना पड़ा। शनिवार दोपहर को ग्राम माथनी निवासी 75 वर्षीय बुुजुर्ग महिला को परिजन फीवर क्लीनिक लेकर पहुंचे थे। बुजुर्ग मरीज की स्थिति इतनी खराब थी कि फीवर क्लीनिक में मौजूद डॉ. संदीप पाचोरे द्वारा बाहर आकर मरीज को देखना पड़ा। बुजुर्ग महिला का ऑक्सीजन सेचुरेशन 85 आ रहा था। परिजन ने बताया कि पिछले 10 दिन से बुखार आ रहा था, जिसका इलाज केहलारी गांव में एक डॉक्टर से करवा रहे थे। डॉक्टर द्वारा शनिवार को खंडवा ले जाने को कहा गया। डॉ. पाचोरे ने बताया कि इसी तरह के चार मरीज अंदर क्लीनिक में बैठे हुए है। इन मरीजों का भी गांव के डॉक्टर इलाज कर रहे थे, जिसकी जानकारी प्रशासन को भी नहीं दी जा रही है। इस तरह के केस रोज गांव से फीवर क्लीनिक में आ रहे है।