खंडवा में भी हुआ था राहुल गांधी के खिलाफ अपराधिक परिवाद प्रस्तुत
खंडवाPublished: Mar 25, 2023 12:53:45 am
-मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट न्यायालय ने क्षेत्राधिकार के अभाव में किया था निरस्त-वर्ष 2014 में महिला सम्मेलन के दौरान हिंदू समाज को लेकर की थी टिप्पणी
खंडवा.
कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय महासचिव राहुल गांधी पर मोदी सरनेम को लेकर सूरत कोर्ट में चल रहे केस में सजा हो गई। साथ ही उनकी सांसदी भी चली गई। ऐसे ही एक मामले में वर्ष 2014 में खंडवा मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट न्यायालय में राहुल गांधी पर आपराधिक परिवाद लगाया गया था। न्यायालय ने इस मामले को क्षेत्राधिकार के अभाव में निरस्त कर दिया था।
राहुल गांधी ने मोदी सरनेम को लेकर कर्नाटक चुनाव में टिप्पणी की गर्ठ थी, जिसका केस सूरत गुजरात में चला था। वर्ष 2014 में भी ऐसा ही एक मामला ओर सामने आया था। 20 अगस्त 2014 को दिल्ली में महिला सम्मेलन के दौरान राहुल गांधी ने टिप्पणी की थी कि आपको मां-बहन कहने वाले, मंदिरों में माथा टेकने वाले ही आपके साथ बस, ट्रेन में छेड़छाड़ करते है। इससे आहत होकर परिवादी अधिवक्ता मोहन गंगराड़े, विजय चौधरी, राजेश तिवारी, मौसम गंगराड़े और गजेंद्र बरकले ने संयुक्त रूप से अधिवक्ता देवेंद्र सिंह यादव के माध्यम से 21 अगस्त 2014 को सीजेएम कोर्ट में परिवाद पेश किया था। मामले में 4 सितंबर 2014 को सुनवाई हुई थी, जिसमें कोर्ट ने इसे क्षेत्राधिकार के अभाव में निरस्त कर दिया था।
पूरे हिंदू समाज को किया था टारगेट
अधिवक्ता देवेंद्र सिंह यादव ने बताया कि मोदी सरनेम पर टिप्पणी करने वाले मामले में कोर्ट ने हाल ही में राहुल गांधी को दो साल की सजा सुनाई है। सूरत कोर्ट में आए फैसले में उन्होंने कर्नाटक के चुनाव में मोदी सरनेम के संबंध में गलत वक्तव्य दिया था। जबकि वर्ष 2014 के मामले में उन्होंने पूरे हिंदू समाज से संबंधित लोगों को टारगेट किया था। हमने 153, 295, 298, 500 व 504 आइपीसी के तहत परिवाद दायर किया था। यदि इस मामले में केस चलता और सजा होती तो राहुल गांधी वर्ष 2019 में सांसद चुनाव नहीं लड़ पाते।