जमीन में गड्ढ़ा खोदकर गले तक डूबे
पीडि़त परिवार ने कलेक्टोरेट पहुंचकर तहसीलदार को एक ज्ञापन सौंपा। बडग़ांव पंचायत के मोहनसिंग फलिया निवासी मोहनसिंग बाथू ने आरोप लगाया शहर के कुछ दबंग भू माफिया ने उनकी जमीन की फर्जी रजिस्ट्री करा ली और बंदूक की नोक पर उन्हें जमीन से बेदखल किया जा रहा है। कई बार शासन प्रशासन को इसकी शिकायत करने के बाद भी उनकी समस्या का निराकरण नहीं हुआ। शनिवार को मां नर्मदा आदिवासी समाजसेवा संगठन के बैनर तले मोहनसिंग और उसके परिवार के ११ सदस्य अपने ही खेत में गड्ढा खोदकर विरोध स्वरूप अंदर बैठ गए। परिवार के समर्थन में ग्रामीण और कुटुंब के लोग भी धरने पर बैठे। आदिवासी परिवार का कहना है कि यदि उन्हें न्याय नहीं मिला तो वे पूरे परिवार के साथ मौत को गले लगा लेंगे।
७० साल से कर रहे खेती
पीडि़त आदिवासी ८५ वर्षीय मोहनसिंग ने बताया कि बडग़ांव पंचायत में उनकी १७.३६ एकड़ जमीन है। वे आजादी से पूर्व इस जमीन पर खेती कर रहे हैं। करीब एक साल पहले शहर के मिर्चीमोहल्ला निवासी कुछ लोगों ने आकर बताया ये जमीन उनकी है। उन्होंने इसकी रजिस्ट्री और पावती भी बताई जो वर्ष १९८३ की बनी हुई थी। पीडि़त का कहना था कि बडग़ांव पंचायत में भी जमीन उनके ही नाम दर्ज है।अब सवाल ये उठता है कि जब जमीन की रजिस्ट्री ३५ साल पहले ही हो गई थी तो अब तक ये लोग कहा थे। अभी तक जमीन पर कब्जा जमाने क्यों नहीं आए। मोहनसिंग ने बताया कि रजिस्ट्री पूरी तरह से फर्जी है।
प्रशासन की अनदेखी
मां नर्मदा आदिवासी समाजसेवा संगठन के संजय गुप्ता ने बताया मामले में आठ से १० बार जिला प्रशासन को कार्रवाई के लिए आवेदन, ज्ञापन दे चुके हैं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। प्रशासन की अनदेखी से दबंग भू माफिया का हौसला बुलंद हो रहा है। इस साल दबंगों ने पीडि़त परिवार को खेत में फसल भी नहीं बोने दी। बंदूक दिखाकर उन्हें बेदखल करने का प्रयास किया जा रहा है। संगठन ने मांग की है मुख्यमंत्री इस मामले में कलेक्टर की अध्यक्षता में तीन लोगों की समिति बनाकर जांच करा ले।जो सच होगा सामने आ जाएगा।