55 गांवों में बाढ़ का खतरा
अब फिर से बारिश का मौसम आ रहा है और जल भराव वाले 55 गांवों में बाढ़ का खतरा रहेगा। इनमें पुनासा क्षेत्र के 19 गांवों सहित हरसूद के 14, पंधाना के 16 और खंडवा के 12 गांवों में भी जल भराव की संभावना रहेगी। जबकि नगर निगम क्षेत्र में करीब 13 वार्ड की 60 से अधिक निलचे एरिया की बस्तियां ऐसी हैं जहां हर बारिश में जल भराव होता है। इससे निपटने के लिए नगर निगम और जिला प्रशासन ने तैयारियां के नाम पर सिर्फ कंट्रोल रूम स्थापित किए हैं। मैदानी स्तर पर बचाव के लिए सीमित संसाधनों को बढ़ाने पर ध्यान नहीं दिया गया है। आपदा प्रबंधन के लिए प्रशिक्षित होमगार्ड, एसडीआरएफ सहित अन्य की मॉकड्रिल हुई है लेकिन वास्तविक स्थितियों में असफल रहने पर बीएसएफ और आर्मी तक की सहायता लेनी पड़ी थी।
शहर में जलभराव वाले क्षेत्र के लोगों को बारिश से सहमें
शहर के जलभराव वाले के लोग बीती रात झमझम बारिश से पिछले दिनों की याद आने लगी है। अधिक बारिश होने पर शहर के वार्ड 2, 7, 8, 9, 10, 11, 14, 15,26,27,28,32,49 एवं 50 निचले क्षेत्र वाली बस्तियों में जलभराव होने पर संवेदनशील क्षेत्र चिह्नित किए गए हैं। अधिक बारिश से कर्बला क्षेत्र आबना नदी के आस पास झुग्गी बस्ती क्षेत्र निचले क्षेत्र में पानी की रुकावट न होने पर सरोजनी नायडू, घासपुरा, चिडिया मैदान, रेल्वे स्टेशन के आस-पास, तीन पुलिया, हरीशंकर मुस्क्तधाम, राम नगर के दक्षिणी छोर की निचली बस्तियां, गोल मोल बाबा के पास झुग्गी क्षेत्र, बंजारा बस्ती, इदगाह के पीछे का क्षेत्र, शंकरतालाब से प्रभावित महारानी लक्ष्मी बाइ स्कूल के पीछे समेत बौद्ध नगर रेलवे ओवर ब्रिज से छह नंबर प्लेट फार्म नाले के किनारे के झुग्गी बस्ती तक जलभराव क्षेत्र में बारिश के दौरान परेशानी याद आने लगी है।
जिले में प्रवाहित नदियों, नाले व बांधव व तालाबों पर नजर
नदियां-आबना, सुकता, अग्नि, ताप्ती, नर्मदा, शिव, खलबली, छोटी तवा, भाम नदी।
नाले-छोटी आबना नाला, तीन पुलिया, रामनगर, शक्कर तालाब, चंपा नाला।
तालाब-नागचुन, शंकर तालाब
बांध-इंदिरा सागर, ओंकारेश्वर जलाशय
इस तरह की घटनाओं पर रखनी है नजर
ग्रामीण क्षेत्र अगर जल भराव और बांधों से पानी छोड़े जाने पर नदियों का जल स्तर बढ़ेगा और नीचे पुल या रपट डूब जाएंगे। बरसाती नदी-नालों में तैरना न जानने वाले लोगों की जान पर खतरा रहेगा। सर्पदंश की घटनाओं में बढ़ोतरी हो सकती है। शहरी क्षेत्र जल निकास को सही बनाए रखना बड़ी चुनौती है। जर्जर मकानों के गिरने का खतरा लगातार बना रहेगा। निचली बस्तियों में पानी भरने से स्थिति खराब होने की संभावना रहेगी।
इन क्षेत्रों में पुल, पुलियों पर बाढ़ का पानी
जिले से होकर गुजरने वाले मार्ग खंडवा, खालवा, पंधाना, पुनासा, हरसूद के कई जगहों पर बाढ़ के दौरान पुल, पुलिया, रपटा समेत मार्ग प्रभावित हो जाते हैं। इस जिले से गुरजने वाले मार्ग पर लगभग 16 स्थलों पर बाढ़ के कारण मार्ग प्रभावित होता है।
वर्ष 1993 व 2014 में मच गई थी भगदड़
जिले के पुनासा तहसील क्षेत्र के ओंकारेश्वर में 19 जुलाई वर्ष 1993 व 2014 में भगदड़ की घटनाएं हो चुकी हैं। आपदा प्रबंधन को लेकर इन घटनाओं पर भी चर्चा की गई।
अब फिर से बारिश का मौसम आ रहा है और जल भराव वाले 55 गांवों में बाढ़ का खतरा रहेगा। इनमें पुनासा क्षेत्र के 19 गांवों सहित हरसूद के 14, पंधाना के 16 और खंडवा के 12 गांवों में भी जल भराव की संभावना रहेगी। जबकि नगर निगम क्षेत्र में करीब 13 वार्ड की 60 से अधिक निलचे एरिया की बस्तियां ऐसी हैं जहां हर बारिश में जल भराव होता है। इससे निपटने के लिए नगर निगम और जिला प्रशासन ने तैयारियां के नाम पर सिर्फ कंट्रोल रूम स्थापित किए हैं। मैदानी स्तर पर बचाव के लिए सीमित संसाधनों को बढ़ाने पर ध्यान नहीं दिया गया है। आपदा प्रबंधन के लिए प्रशिक्षित होमगार्ड, एसडीआरएफ सहित अन्य की मॉकड्रिल हुई है लेकिन वास्तविक स्थितियों में असफल रहने पर बीएसएफ और आर्मी तक की सहायता लेनी पड़ी थी।
शहर में जलभराव वाले क्षेत्र के लोगों को बारिश से सहमें
शहर के जलभराव वाले के लोग बीती रात झमझम बारिश से पिछले दिनों की याद आने लगी है। अधिक बारिश होने पर शहर के वार्ड 2, 7, 8, 9, 10, 11, 14, 15,26,27,28,32,49 एवं 50 निचले क्षेत्र वाली बस्तियों में जलभराव होने पर संवेदनशील क्षेत्र चिह्नित किए गए हैं। अधिक बारिश से कर्बला क्षेत्र आबना नदी के आस पास झुग्गी बस्ती क्षेत्र निचले क्षेत्र में पानी की रुकावट न होने पर सरोजनी नायडू, घासपुरा, चिडिया मैदान, रेल्वे स्टेशन के आस-पास, तीन पुलिया, हरीशंकर मुस्क्तधाम, राम नगर के दक्षिणी छोर की निचली बस्तियां, गोल मोल बाबा के पास झुग्गी क्षेत्र, बंजारा बस्ती, इदगाह के पीछे का क्षेत्र, शंकरतालाब से प्रभावित महारानी लक्ष्मी बाइ स्कूल के पीछे समेत बौद्ध नगर रेलवे ओवर ब्रिज से छह नंबर प्लेट फार्म नाले के किनारे के झुग्गी बस्ती तक जलभराव क्षेत्र में बारिश के दौरान परेशानी याद आने लगी है।
जिले में प्रवाहित नदियों, नाले व बांधव व तालाबों पर नजर
नदियां-आबना, सुकता, अग्नि, ताप्ती, नर्मदा, शिव, खलबली, छोटी तवा, भाम नदी।
नाले-छोटी आबना नाला, तीन पुलिया, रामनगर, शक्कर तालाब, चंपा नाला।
तालाब-नागचुन, शंकर तालाब
बांध-इंदिरा सागर, ओंकारेश्वर जलाशय
इस तरह की घटनाओं पर रखनी है नजर
ग्रामीण क्षेत्र अगर जल भराव और बांधों से पानी छोड़े जाने पर नदियों का जल स्तर बढ़ेगा और नीचे पुल या रपट डूब जाएंगे। बरसाती नदी-नालों में तैरना न जानने वाले लोगों की जान पर खतरा रहेगा। सर्पदंश की घटनाओं में बढ़ोतरी हो सकती है। शहरी क्षेत्र जल निकास को सही बनाए रखना बड़ी चुनौती है। जर्जर मकानों के गिरने का खतरा लगातार बना रहेगा। निचली बस्तियों में पानी भरने से स्थिति खराब होने की संभावना रहेगी।
इन क्षेत्रों में पुल, पुलियों पर बाढ़ का पानी
जिले से होकर गुजरने वाले मार्ग खंडवा, खालवा, पंधाना, पुनासा, हरसूद के कई जगहों पर बाढ़ के दौरान पुल, पुलिया, रपटा समेत मार्ग प्रभावित हो जाते हैं। इस जिले से गुरजने वाले मार्ग पर लगभग 16 स्थलों पर बाढ़ के कारण मार्ग प्रभावित होता है।
वर्ष 1993 व 2014 में मच गई थी भगदड़
जिले के पुनासा तहसील क्षेत्र के ओंकारेश्वर में 19 जुलाई वर्ष 1993 व 2014 में भगदड़ की घटनाएं हो चुकी हैं। आपदा प्रबंधन को लेकर इन घटनाओं पर भी चर्चा की गई।