Judgement- प्रेमिका की हत्या करने वाले प्रधान आरक्षक को दोहरा आजीवन कारावास
खंडवाPublished: Aug 19, 2023 12:50:16 am
मिटा चुका था हर साक्ष्य, चश्मदीद ने पहुंचाया सलाखों के पीछे
-विशेष न्यायाधीश ने हत्या के प्रकरण में सुनाया फैसला
-मामला 2019 में कोतवाली के प्रआ संजय मौर्य द्वारा प्रेमिका को जहर पिला कर मारने का


खंडवा. इनसेट में आरोपी संजय मौर्य।
खंडवा.
पुलिस की नौकरी का फायदा उठाते हुए अपराधी ने हत्या के हर साक्ष्य को मिटा दिया, लेकिन न्याय होने से नहीं रोक पाया। मामले की एकमात्र चश्मदीद गवाह, मृतक महिला की मुंहबोली बेटी ने उसे जीवनभर के लिए जेल की सलाखों के पीछे पहुंचा दिया। शुक्रवार को विशेष न्यायाधीश प्राची पटेल की न्यायालय ने हत्या के मामले में कोतवाली थाने के तत्कालीन प्रधान आरक्षक संजय मौर्य को दोहरा आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। अभियोजन की ओर से मामले की पैरवी सहायक जिला लोक अभियोजन अधिकारी रूपेश कुमार तमोली ने की।
सहा. लोक अभियोजन अधिकारी रूपेश कुमार तमोली ने बताया कि मामला 13 जुलाई 2019 की रात कोतवाली थाना क्षेत्र की नर्मदापुरम कॉलोनी निवासी 31 वर्षीय महिला को प्रआ संजय मौर्य ने जहर पीने से गंभीर अवस्था में जिला अस्पताल में भर्ती कराया था। दूसरे दिन 14 जुलाई को उसे इंदौर रेफर करवा दिया था। 20 जुलाई को एमवाय अस्पताल इंदौर में महिला की इलाज के दौरान मौत हो गई थी। मृतक महिला की 14 वर्षीय (भतीजी) मुंहबोली बेटी ने संजय मौर्य पर अपने शारीरिक शोषण व महिला को जहर पिलाकर मारने का आरोप लगाया था। मामले में 15 अगस्त को एमवाय अस्पताल से मर्ग डायरी खंडवा कोतवाली भेजी गई थी। जिसके बाद संजय मौर्य के खिलाफ आइपीसी की धारा 306/302 और 376 व पॉक्सो एक्ट के तहत केस दर्ज किया गया था। एक साल फरार रहने के बाद पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार किया था। तब से आरोपी न्यायिक हिरासत में है।
कुल 22 गवाह थे, भतीजी थी चश्मदीद
पूरा घटनाक्रम मृतक महिला के घर में एक बंद कमरे में हुआ था। मामले में पुलिस ने कुल 22 गवाह बनाए थे, जिसमें मृतक का पति, बहन, भाई, मां, दो बच्चे और मुंहबोली बेटी (भतीजी) प्रमुख गवाह थी। चश्मदीद गवाह मुंहबोली बेटी ने पुलिस को बताया था कि घटना की रात संजय मौर्य घर आए थे और चाची को अंदर कमरे में ले गए थे। अंदर से मारपीट करने, संजय मौर्य द्वारा महिला को चिल्लाने की आवाज आ रही थी। कुछ देर बार संजय मौर्य महिला को लेकर बाहर आया था और कहा था कि उसने दवाई पी ली है, मैं अस्पताल ले जा रहा हूं। पूरे मामले में संजय यह सिद्ध नहीं कर पाया कि महिला ने स्वयं जहर पिया था। इसलिए कोर्ट ने मुंहबोली बेटी की गवाही को मानते हुए फैसला सुनाया। मामले में दर्ज धारा 376 और पॉक्सो एक्ट में उसे दोष मुक्त किया गया।
इस तरह से मिटाए थे साक्ष्य
-मृतक की मुंहबोली बेटी को घर छोडऩे के दौरान 14 जुलाई को संजय ने कमरे की दीवार पर लगे दवाई के दाग पोंछा लगाकर मिटा दिए। टूटी चुड़ी के टूकड़े भी साथ ले गया।
-कमरे के बिस्तर पर पड़ा अपना अंडरवियर जेब में रखकर ले गया, बेडशीट भी धुलवा दी।
-मृतक महिला के मोबाइल में कॉल रिकार्ड और हुई बातचीत की रिकार्डिंग भी डिलीट कर दी।
-इलाज के दौरान संजय ने महिला के मरणासन्न अवस्था के बयान भी नहीं होने दिए।
-पुलिस को दिए बयान में उसने पारिवारिक परेशानी के चलते आत्महत्या का प्रयास बताया।