पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय भारत सरकार मध्यप्रदेश में पर्यावरण नियोजन समन्वय संगठन एप्को भोपाल के माध्यम से प्रत्येक जिले में इको क्लब वाले स्कूलों में ग्लोब प्रोग्राम अंतर्गत बच्चों में वैज्ञानिक सोच विकसित करने का प्रयास कर रही है। पर्यावरण मंत्रालय के वैज्ञानिकों एवं अधिकारियों ने भोपाल के एप्को के परिसर में प्रदेश के 20 जिलों के इको क्लब प्रभारियों का एक दिवसीय प्रशिक्षण कराया। जिसमें खंडवा के 5 शासकीय और दो अशासकीय विद्यालयों के इको क्लब प्रभारी शामिल हुए। यह प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद जिला स्तरीय प्रशिक्षण अन्य इको क्लब प्रभारियों को देंगे वे अपने विद्यालयों में ब्लॉक प्रोग्राम से बच्चों को साइंस की गतिविधियों से जोड़ेंगे। खंडवा से इको क्लब के जिला नोडल अधिकारी संदीप जोशी श्री रायचंद नागड़ा शासकीय उत्कृष्ट विद्यालय खंडवा, जिला मास्टर ट्रेनर संगीता सोनवणे व्याख्याता महारानी लक्ष्मीबाई हायर सेकेंडरी स्कूल तथा संतोष चौहान मोतीलाल नेहरू स्कूल, सरोज कदम हाइस्कूल बडग़ांव माली, योगेश गढ़वाल शासकीय उमावि बडग़ांव गुर्जर, हर्ष अग्रवाल सेंट जोसेफ कॉन्वेंट स्कूल तथा भंडारी पब्लिक स्कूल से सौरभ सिंह ने भाग लिया। खंडवा से गई इको क्लब की टीम का प्रदर्शन सिखाए गए प्रयोगों को करने में उम्दा रहा। खंडवा टीम के प्रयासों को सभी ने सराहा। टीम को प्रमाण पत्र देकर सम्मानित भी किया गया।
बच्चों को बताएंगे ये सबकुछ
बादलों की वास्तविक स्थिति पता लगाना, वैज्ञानिक तरीके से मौसम का पता लगाना, वर्षा यंत्र से कितने मिलीमीटर बारिश हुई है जानना, मिट्टी का परीक्षण वैज्ञानिक सोच से करना, जलवायु परिवर्तन से पेड़ पौधों पर पडऩे वाले प्रभाव की जानकारी बच्चे प्राप्त करेंगे।
बादलों की वास्तविक स्थिति पता लगाना, वैज्ञानिक तरीके से मौसम का पता लगाना, वर्षा यंत्र से कितने मिलीमीटर बारिश हुई है जानना, मिट्टी का परीक्षण वैज्ञानिक सोच से करना, जलवायु परिवर्तन से पेड़ पौधों पर पडऩे वाले प्रभाव की जानकारी बच्चे प्राप्त करेंगे।
इको क्लब को जागृत करना चुनौती
सरकारी स्कूलों में इको क्लब तो हैं लेकिन अधिकांश स्थानों पर ये सुप्तप्राय: अवस्था में है। ऐसे में इन्हें जागृत करने की चुनौती पहले होगी। प्रयास अच्छा किया जा रहा है लेकिन जब तक इको क्लब के प्रभारी व जिम्मेदार इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम नहीं उठाएंगे तब तक इसकी सफलता पर संदेह ही रहेगा। इस दिशा में गंभीरता से काम शुरू करने की दरकार है। इसके बाद ही किए जा रहे प्रयास सफल हो सकेंगे।
सरकारी स्कूलों में इको क्लब तो हैं लेकिन अधिकांश स्थानों पर ये सुप्तप्राय: अवस्था में है। ऐसे में इन्हें जागृत करने की चुनौती पहले होगी। प्रयास अच्छा किया जा रहा है लेकिन जब तक इको क्लब के प्रभारी व जिम्मेदार इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम नहीं उठाएंगे तब तक इसकी सफलता पर संदेह ही रहेगा। इस दिशा में गंभीरता से काम शुरू करने की दरकार है। इसके बाद ही किए जा रहे प्रयास सफल हो सकेंगे।