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यूरोप, एशिया, अरेबियन पक्षियों की अठखेलियों से चहका नागचून तालाब

locationखंडवाPublished: Nov 13, 2017 01:30:44 pm

मध्यप्रदेख के खंडवा स्थित नागचून तालाब इन दिनों विदेशी पक्षियों की पसंद बना है। यहां एक दर्जन से ज्यादा प्रजाति के पक्षी प्रवास पर हैं।

यूरोप, एशिया, अरेबियन पक्षियों की अठखेलियों से चहका नागचून तालाब

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खंडवा. पक्षी पे्रमियों के लिए ये सर्दी का मौसम खास साबित होने वाला है। इस बार पक्षी प्रेमियों को एक नहीं बल्कि कई दुर्लभ प्रजाति के पक्षियों के दीदार करने का अवसर मिल सकेगा। नागचून में प्रवासी पक्षियों ने डेरा डाल दिया है। एशिया, यूरोप और अरेबियन देशों से करीब एक दर्जन प्रजाति के विदेशी पक्षी नागचून तालाब पहुंच चुके हैं। नागचून तालाब इन प्रवासियों के चहचहाहट से गुलजार हो गया है।

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Riyaj Sagar IMAGE CREDIT:
यूरोप, एशिया, अरेबियन पक्षियों की अठखेलियों से चहका नागचून तालाब
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ये आए हैं विदेशी पक्षी
१- रडी सेल्डक: यूरोप और मध्य एशिया से आने वाले इस प्रजाति की संख्या करीब २५ से ३० की है।
२- पेरीग्रीन फलकन: दुनिया का सबसे तेज उडऩे वाले पक्षियों में पेरीग्रीन फलकन भी है । मध्य एशिया से आने वाले पक्षी की संख्या अब तक एक है।
३- पैलिड हॅरियर: पैलिड हॅरियर प्रजाति का एक जोड़ा हर साल नागचून में आता है। अभी कुछ दिनों पहले ही यह जोड़ा मध्य एशिया से नागचून तालाब में प्रवास करने पहुंचा है।
४- मार्श हैरियर: यूरोप में पाया जाने वाला मार्श हैरियर प्रजाति के पक्षी का जोड़ा भी नागचून में दिखा है। यहां एक जोड़ा हर साल आता है।
५- कॉमन केस्ट्रल: यूरोप में पाई जाने वाली प्रजाति है। इस बार भी इनका दो जोड़ा तालाब में पहुंचा है।
६- गडवाल: २०१७ में यह पक्षी नागचून पहुंचे हैं। उत्तरी यूरोप में पाए जाने वाली प्रजाति के पक्षी झुंड में चलते हैं। एक टुकड़ी खंडवा पहुंच चुकी है।
७- इंडियन कोरसर: विश्व के पक्षियों में आधा दर्जन एेसे प्रजाति के पक्षी हैं, जिनको भारतीय नाम से जोड़ा जाता है। इसमें एक इंडियन कोरसर पक्षी भी है, जो पहली बार नागचून में दिखा है।
८- डेजर्ट व्हीट इयर: अरेबियन देश में यह प्रजाति पाई जाती है। अभी इस प्रजाति के एक दो ही दिख रहे हैं, इनकी संख्या में इजाफा हो जाएगा।

७० प्रकार के है भारतीय प्रजाति के पक्षी
नागचून तालाब पक्षियों के लिए बहुत ही शानदार और उनके आहार व्यवहार के अनुकूल जगह है। एेसे में विदेशी के अलावा भारतीय पक्षियों की करीब ७० प्रजातियां रह रही हैं। इनके लिए कुछ व्यवस्था करके इन दुर्लभ प्रजिातियों के अनुकूल वातावरण बनाया जा सकता है।
विकसित किया जा सकता है नागचून
नागचून तालाब पर हर साल विदेशी पक्षियों का जमावड़ा होता है। इसे विकसित किया जाए तो यहां बर्ड वाचिंग सेंटर भी बन सकता है। यहां पेड़ पौधे लगाने का काम और अवैध खनन को रोकना होगा। नागचून में आने वाले पक्षियों की सुन्दरता विश्व के जाने-माने मैग्जीन और वेबसाइट के लिए भी चयनित की गई है। – सौमित्र शुक्ला, वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर, साफ्टवेयर इंजानियर खंडवा

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