एक्सपोज: निमाड़ के चारों जिलों की सीन ऑफ क्राइम मोबाइल यूनिट खाली
आरक्षकों के भरोसे चल रहा यूनिट काम, जरूरत पड़ने पर नहीं मिल पा रही फॉरेंसिक अधिकारी की मदद, विभाग ने मुख्यालय अटैच कर दिए वैज्ञानिक अधिकारी
खंडवा
Published: May 30, 2022 11:38:44 am
खंडवा. अपराध अन्वेषण में सहायक भूमिका निभाने वाली फॉरेंसिक विज्ञान शाखा की सीन ऑफ क्राइम मोबाइल यूनिट अधिकारी विहीन हैं। एक जानकारी के मुताबिक निमाड़ के चारों जिले खंडवा, खरगोन, बुरहानपुर और बड़वानी में अब फॉरेंसिक जांच के लिए कोई वैज्ञानिक अधिकारी नहीं हैं। इन यूनिट के लिए एक वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी, दो वैज्ञानिक अधिकारी सहित तकनीकी सहायक, एक फोटोग्राफर, एक लिपिक और एक वाहन चालक का पद स्वीकृत हैं, लेकिन निमाड़ के जिलों में यह सभी पद खाली हैं। कामचलाऊ व्यवस्था के तहत जिलों की यूनिट में आरक्षक तैनात किए गए हैं। आवश्यकता पड़ने पर नजदीकी जिले से भी मदद की कोई उम्मीद नहीं है।
अटैच के बाद कर दिया तबादला
बता दें कि सीन ऑफ क्राइम मोबाइल यूनिट खंडवा में वैज्ञानिक अधिकारी डॉ. विकास मुजाल्दा पदस्थ थे, जिनके पास बुरहानपुर जिले का भी प्रभार रहा। खरगोन में डॉ. रोहित मकवाना और बड़वानी में डॉ. बीएस बघेल की तैनाती थी। इनमें डॉ. मुजाल्दा को तीन महीना पहले 7 मार्च को अटैच करने के बाद आरएफएसएल राऊ इंदौर कार्यालय के लिए तबादला कर दिया गया। जबकि खरगोन और बड़वानी के वैज्ञानिक अधिकारी अभी भी अटैच हैं।
क्राइम सीन पर जरूरी हैं वैज्ञानिक अधिकारी
वैज्ञानिक अधिकारियों को अटैच करने के बाद उनकी वापसी नहीं की गई और ना ही किसी अन्य वैज्ञानिक अधिकारी को निमाड़ में भेजा गया। जानकार बताते हैं कि फरियादी को न्याय दिलाने के लिए क्राइम सीन पर फॉरेंसिक अधिकारी की मौजूदगी महत्वपूर्ण मानी जाती है। किसी अपराध में साक्ष्य संकलन और उनकी स्पष्टता बेहद जरूरी होती है।
अब अंदाज से चल रहा काम
हत्या, संदिग्ध मृत्यु या अन्य आपराधिक प्रकरणों में सीन ऑफ क्राइम यूनिट की मदद ली जाती है। लेकिन वैज्ञानिक अधिकारियों को जिलों से भोपाल, इंदौर की प्रयोगशाला में बुला लेने के बाद अब अंदाज से ही काम चल रहा है। जो किसी अपराध के अन्वेषण में नाकाफी ही माना जाएगा। एक अनुमान के मुताबिक प्रत्येक जिले में प्रतिमाह करीब 20 प्रकरण ऐसे आते हैं जिनमें वैज्ञानिक अधिकारी की आवश्यकता होती है। कुछ मामलों में तो क्राइम सीन पर जाना जरूरी होता है।
वर्जन...
मप्र के ज्यादातर जिलों की सीन ऑफ क्राइम यूनिट में वैज्ञानिक अधिकारी नहीं हैं। मुख्यालय के आदेश पर सभी को प्रयोगशाला में लंबित प्रकरणों के निराकरण में लगाया है। आवश्यकता पड़ने पर धार या इंदौर से फॉरेंसिक अधिकारी को बुलाना पड़ता है।
- तिलक सिंह, डीआइजी, खरगोन रेंज

Expose: Scene of crime unit of all four districts of Nimar empty
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