पांचों छात्रों को पिछले साल अगस्त में एबीवीपी के कार्यकर्ताओं से झड़प के बाद निलंबित कर दिया गया था। इनमें से एक रोहित वमुला ने रविवार को सुसाइड कर लिया।
हैदराबाद यूनिवर्सिटी के हॉस्टल से निकाले गए पांच दलित छात्रों में से एक के रविवार को खुदकुशी करने के मामले में स्टूडेंट यूनियनों ने विरोध तेज कर दिया है। बता दें कि पांचों छात्रों को पिछले साल अगस्त में एबीवीपी के कार्यकर्ताओं से झड़प के बाद निलंबित कर दिया गया था। इनमें से एक रोहित वमुला ने रविवार को सुसाइड कर लिया। रोहित वमुला ने सुसाइड से पहले एक नोट भी छोड़ा।
रोहित वमुला का सुसाइड नोट
सुप्रभात,
जब आप ये पत्र पढ़ेंगे तब मैं जिंदा नहीं रहूंगा। गुस्सा मत होइएगा। मैं जानता हूं आप में से कुछ लोग मेरी बहुत चिंता करते हैं, मुझे बहुत प्यार करते हैं और मुझसे बहुत अच्छा बर्ताव करते हैं। मुझे किसी से कोई शिकायत नहीं है। समस्या हमेशा मेरे साथ ही रही। मेरे शरीर और मेरी आत्मा के बीच फासला बढ़ता जा रहा है और इससे मैं एक शैतान बन रहा हूं। मैं हमेशा से एक लेखक बनना चाहता था। विज्ञान का लेखक, कार्ल सगन की तरह। कम से कम मुझे ये पत्र तो लिखने को मिल रहा है। मुझे विज्ञान, सितारों और प्रकृति से प्यार रहा। लेकिन इसके बाद मुझे इंसानों से भी प्यार हो गया, ये जाने बिना कि इंसानों का इन सब चीजों से बहुत पहले ही नाता टूट चुका है।
मैं पहली बार इस तरह का पत्र लिख रहा हूं। एक अंतिम पत्र का पहला मौका। अगर मैं बात समझाने में विफल रहूं तो माफ करिएगा। शायद मैं दुनिया को, प्यार, दर्द, जीवन, मौत को समझने में असफल रहा। कोई जल्द नहीं थी, मगर मैं न जाने क्यों भाग रहा था। मैं एक नया जीवन शुरू करने के लिए काफी तत्पर था। कुछ लोगों के लिए जीवन ही एक श्राप होता है। मेरे लिए तो मेरा जन्म लेना ही हादसा था। मैं दु:खी नहीं हूं, उदास नहीं हूं। मैं सिर्फ खाली हूं। मुझे अपनी चिंता नहीं है। इसीलिए मैं ये कर रहा हूं।
मेरे जाने के बाद लोग मुझे कायर, स्वार्थी, मूर्ख कह सकते हैं। इससे मैं परेशान नहीं हूं। मैं मौत के बाद की कहानियों, भूत-प्रेत आत्माओं पर यकीन नहीं करता। मैं सिर्फ ये यकीन रखता हूं कि मैं सितारों तक की यात्रा कर सकता हूं और दूसरी दुनिया के बारे में जान सकता हूं।
आप, जो इस वक्त मेरा पत्र पढ़ रहे हैं, अगर मेरे लिए कुछ कर सकते हैं तो मुझे मेरी सात महीनों की छात्रवृत्ति एक लाख पचहत्तर हजार रुपए मिलनी है, कृपया उस संबंध में कुछ करिएगा। वह राशि मेरे परिवार को दे दीजिएगा। मुझे करीब चालीस हजार रुपए रामजी को देने हैं। उन्होंने कभी मुझसे वापस नहीं मांगे, मगर कृपया उन्हें उसी राशि में से पैसे दे दीजिएगा।
मेरी अंतिम यात्रा शांतिपूर्वक निकालिएगा। ऐसा बर्ताव करें कि मैं बस आया और चला गया। मेरे लिए आंसू मत बहाइएगा। ये जान लीजिए कि मैं जिंदा रहने की बजाय मरकर ज्यादा खुश हूं। बाय।
मैं औपचारिकताएं लिखना तो भूल ही गया। मेरे इस कृत्य के लिए कोई जिम्मेदार नहीं है। किसी ने भी अपने किसी काम या शब्द द्वारा मुझे उकसाया नहीं। ये मेरा निर्णय है और इसके लिए मैं ही जिम्मेदार हूं। मेरे जाने के बाद मेरे इस कृत्य को लेकर मेरे दोस्तों या दुश्मनों को परेशान मत कीजिएगा।