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गुरु पुष्य, स्वार्थ सिद्ध, अमृत सिद्धि व पुष्य नक्षत्र से होगी गुप्त नवरात्र की शुरुआत

locationखंडवाPublished: Jun 27, 2022 12:55:22 pm

Submitted by:

harinath dwivedi

गुप्त नवरात्र 30 जून से शुरू, मंदिरों में होने लगी तैयारियां।

Gupt Navratri will be from Guru Pushya, Selfishness, Amrit Siddhi and

Gupt Navratri will be from Guru Pushya, Selfishness, Amrit Siddhi and

खंडवा. मनोकामना व साधना के लिए विशेष फलदायी माने जाने वाले गुप्त नवरात्र की शुरुआत 30 जून से होगी। इसकी तैयारियां मंदिरों में शुरू हो चुकी हैं। मंदिर प्रांगण में मातारानी की पूजा-अर्चना के लिए साफ-सफाई होने लगी है। नवचड़ी माता मंदिर, शीतला माता मंदिर, माता मंदिर बड़ा बम सहित अन्य मंदिरों में गुप्त नवरात्र की तैयारियां चल रही हैं। मां शीतला संस्कृत पाठशाला के आचार्य अंकित मार्कण्डेय ने बताया कि इस बार गुप्त नवरात्र की शुरुआत कई शुभ योगों में हो रही है। इस बार कई विशेष संयोग रहेंगे। इस लिहाज से यह नवरात्र अत्यंत शुभ फलकारी होंगे। 30 जून गुरुवार को पुनर्वसु और पुष्य नक्षत्र है। इसमें किए गए कार्य और अनुष्ठानों में विशेष सफलता मिलेगी। गुप्त नवरात्र में शहर के सभी दुर्गा मंदिरों में पुजारियों द्वारा विशेष पूजा-अर्चना की जाएगी। हवन व यज्ञ किए जाएंगे। नौ दिनों तक मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना चलेगी। गुप्त रूप से माता रानी की आराधना की जाएगी। अच्छी बारिश की मातारानी से कामना की जाएगी। जिससे खरीफ की फसल अच्छी हो सकें।
होता है गुप्त नवरात्र का विशेष महत्व
पंडित आचार्य अंकित मार्कण्डेय ने बताया कि साल में चार बार नवरात्र आते हैं। इसमें दो नवरात्र प्रकट नवरात्र होते हैं, जबकि दो नवरात्र गुप्त नवरात्र होते हैं। चैत्र और अश्विन नवरात्र प्रकट नवरात्र होते हैं, इसमें मां आदिशक्ति की आराधना का विशेष महत्व है। इसी प्रकार माघ और आषाढ़ माह में जो नवरात्र आते हैं, वे गुप्त नवरात्र होते हैं। इसमें मनवांछित फल की प्राप्ति के लिए गुप्त साधना, मंत्र, तंत्र साधना आदि का विशेष महत्व माना गया है।
नौ दिनों तक चलेगी पूजा-अर्चना
गुप्त नवरात्र 30 जून से आठ जुलाई तक रहेंगे। इस तरह पूरे नौ दिन के नवरात्र रहेंगे। आचार्य अंकित मार्कण्डेय ने बताया कि गुप्त नवरात्र के पहले दिन सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग रहेगा। इसके साथ ही गुरुवार का दिन और पुर्नवसु नक्षत्र होने से इस दिन सिद्धि योग भी बनेगा। इस नवरात्र में इच्छित मनोकामना पूर्ति के लिए साधना का विशेष महत्व माना गया है। यह आषाढ़ी नवरात्र होते हैं।
गुप्त नवरात्रि मंत्र-तंत्र साधना
गुप्त नवरात्रि में विशेष दश महाविद्या की साधना, आधारना की जाती है जिसमें की गई मंत्र-तंत्र साधना अभीष्ट फल देती है। साथ ही दुर्गा सप्तशती के पाठ किए जाते है, जो पारिवारिक मनोकामना प्राप्त करने के लिए, शारीरिक मानसिक व्याधा दूर करने के लिए व्यापारिक उन्नति, विवाह, आदि की कामना हेतु लोग अपने घर पर या मंदिरो में वैदिक ब्राह्मणों को आमंत्रित कर पूरे 9 दिनो तक पूजन अर्चन, अखंड ज्योत ज्वारे बोकर मां की आराधना करते है। कई परिवार मिलकर अपने घर पर प्रति वर्ष गुप्त रूप से मां भगवती का पूजन अर्चन करते है।
30 जून- गुरु पुष्य, स्वार्थ सिद्ध,अमृत सिद्धि योग
1 जूलाई- रवि योग
2 जुलाई- रवि योग
3 जुलाई- रवि योग
4 जुलाई- रवियोग
5 जुलाई- त्रिपुष्कर योग ,रवि योग
6 जुलाई- स्वार्थ सिद्ध योग,रवि योग
7 जुलाई- दुर्गा अष्टमी
8 जुलाई- रवि योग, नवमी
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