नागचून क्षेत्र में खनन कर जमीन की खोखली
अवैध खनन कारोबारियों द्वारा जिले में सरकारी जमीनों पर बड़े स्तर पर खनन का कोराबार किया जा रहा है। बडग़ांव भीला और अहमदपुर खैगांव के आसपास की शासकीय जमीनों पर रात और सुबह के समय बड़े पैमाने पर अवैध खनन हो रहा है। यहां से हजारों डंपर मुरम खोदकर उपयोग में ली जा रही है। सूत्रों की मानें तो नागचून के पास सरकारी जमीन से खनन के लिए एक व्यक्ति को अनुमति दी गई थी, लेकिन यहां कई अन्य समाजकंटकों ने खनन का अवैध काम शुरू किया है। नागूचन क्षेत्र में भी खनन का खेल चल रहा है। शासकीय संपत्ति को नुकसान पहुंचा रहे समाजकंटकों की जानकारी जिम्मेदारों को भी है। कार्रवाई की कोई भी जहमत नहीं उठा पा रहा।
अवैध खनन कारोबारियों द्वारा जिले में सरकारी जमीनों पर बड़े स्तर पर खनन का कोराबार किया जा रहा है। बडग़ांव भीला और अहमदपुर खैगांव के आसपास की शासकीय जमीनों पर रात और सुबह के समय बड़े पैमाने पर अवैध खनन हो रहा है। यहां से हजारों डंपर मुरम खोदकर उपयोग में ली जा रही है। सूत्रों की मानें तो नागचून के पास सरकारी जमीन से खनन के लिए एक व्यक्ति को अनुमति दी गई थी, लेकिन यहां कई अन्य समाजकंटकों ने खनन का अवैध काम शुरू किया है। नागूचन क्षेत्र में भी खनन का खेल चल रहा है। शासकीय संपत्ति को नुकसान पहुंचा रहे समाजकंटकों की जानकारी जिम्मेदारों को भी है। कार्रवाई की कोई भी जहमत नहीं उठा पा रहा।
आदेश हवा, नहीं मिले समाजकंटक
मुख्यमंत्री कमलनाथ ने 12 दिसंबर को समाजकंटकों पर सख्त कार्रवाई के आदेश दिए थे, लेकिन सीएम के आदेश के बाद भी खंडवा सहित जिले में रसूख के दम पर समाजकंटकों राज जारी है। क्योंकि प्रशासन को जिले में एक भी समाजकंटक नहीं मिला। खानापूर्ति के लिए प्रशासन ने अतिक्रमण हटाओ मुहिम जरूर चलाई, लेकिन यह मुहिम भी राजनीति की भेंट चढ़ गई। इस कारण प्रशासन न तो जिले में समाजकंटकों पर न तो अंकुश लगा सका और न ही सरकारी जमीनें अतिक्रमण मुक्त करा पाया।
मुख्यमंत्री कमलनाथ ने 12 दिसंबर को समाजकंटकों पर सख्त कार्रवाई के आदेश दिए थे, लेकिन सीएम के आदेश के बाद भी खंडवा सहित जिले में रसूख के दम पर समाजकंटकों राज जारी है। क्योंकि प्रशासन को जिले में एक भी समाजकंटक नहीं मिला। खानापूर्ति के लिए प्रशासन ने अतिक्रमण हटाओ मुहिम जरूर चलाई, लेकिन यह मुहिम भी राजनीति की भेंट चढ़ गई। इस कारण प्रशासन न तो जिले में समाजकंटकों पर न तो अंकुश लगा सका और न ही सरकारी जमीनें अतिक्रमण मुक्त करा पाया।