इस बार अच्छी बारिश हुई है। जिले की तीन से चार बार बाढ़ आ चुकी है। इस वजह से कुछ नदियों में भारी मात्रा में रेत एकत्रित हो गई। अमलपुरा नदी में पानी कम होते ही कुछ दिनों से रेत की अवैध उत्खनन शुरू हो गया है।
नदी व खदानों से उत्खनन रहता है बंद
एनजीटी के आदेश के मुताबिक प्रदेशभर में बारिश के सीजन में नदियों व खदानों से रेत का उत्खनन, परिवहन सितंबर तक प्रतिबंधित रहता है। नदी व खदानों से रेत का उत्खनन नहीं होता है। रेत स्टॉक से ही परिवहन हो सकता है।
ओवरलोड रेत भर आ रहे डंपर
जिले की नदियों से उत्खनन के अलावा होशंगाबाद जिले से भी नर्मदा व तवा नदी से ओवरलोड रेत के डंपर आ रहे हैं। यह डंपर छनेरा, सहेजला, जावर के रास्ते खंडवा आ रहे। रेत की कालाबाजारी से प्रशासन को लाखों रुपए के राजस्व का नुकसान हो रहा। साथ ही पिछले एक पखवाड़े से डंपरों के परिवहन की वजह से खंडवा से जावर, सहेजला मार्ग गड्ढों में तब्दील हो चुका है। 25 किमी के मार्ग में 100 से ज्यादा गड्ढे हैं।
कांग्रेस ने अवैध खनन पर प्रतिबंध का दिया था वचन
विधानसभा चुनाव के पूर्व कांग्रेस पार्टी ने अपने वचनपत्र में अवैध उत्खनन पर प्रतिबंध लगाने का जिक्र किया था। प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी, लेकिन अवैध उत्खनन बंद नहीं हुआ।