खालवा के राजपुरा गांव के पास मिली नवजात बालिका की हालत अब खतरे से बाहर बताई जा रही है। शुक्रवार को उसे यहां लाए जाने के तुरंत बाद से ही शिशु गहन चिकित्सा इकाई-एसएनसीयू में रखा गया था। हालांकि उसे अभी भी ऑक्सीजन पर ही रखा गया है पर धीरे-धीरे वह सामान्य अवस्था में आ रही है। डाक्टर्स ने उसके जीवन के लिए बेहद खतरनाक 48 घंटों की जो मियाद बतायी थी, वह निकल चुकी है। जब उसे यहां लाया गया था तब उसके शरीर से कीड़े निकल रहे थे। डाक्टर बताते हैं कि एकाध कीड़े तो अब भी निकल रहे हैं पर अब वह लगभग 90 फीसदी स्वस्थ हो चुकी है। चोटें और शरीर के अन्य घावों को ठीक होने में करीब एक सप्ताह का समय और लग सकता है। अस्पताल की नर्सों ने इस नवजात को प्यारा सा नाम भी दे दिया है- सिया। मासूम सिया की एक किलकारी पर नर्सें दौड़ी चली आती हैं। नर्स जिनी, ममता और अंशी तो सिया के बिना रह ही नहीं पातीं।
केवल सिया ही नहीं , अन्य नवजातों को भी अस्पताल की नर्सों का भरपूर अपनत्व और ममत्व मिल रहा है। 11 सितंबर को यहां लाई गई एक नवजात बच्ची भी यहां नवजीवन पा चुकी है। महज 7 माह की इस प्रीमेच्योर बच्ची को कोई वृद्धा यहां छोड़ गई। तभी से अस्पताल के डाक्टर्स और नर्स उसकी सेवा में जुटे हुए हैं। डाक्टर कृष्णा वास्कले बताते हैं कि नर्सों ने इसे चांदनी नाम दिया है। करीब चौदह दिन की चांदनी को दो दिन पूर्व शुगर की शिकायत थी, इसलिए दूध बंद कर दिया गया था। अब फिर से दूध देना शुरू किया है। हालांकि कुछ वेट लास हुआ है, पर वजन फिर बढऩे की उम्मीद है।