घर जाने के लिए जेवर, मोबाइल बेचकर किया किराया
खंडवाPublished: May 21, 2020 12:09:40 am
प्रदेश सरकार से अनुमति मिली तो बस से रवाना हुए बंगाली कारीगर
खंडवा. लॉक डाउन में सराफा के बंगाली कारीगरों का रोजगार तो छूटा ही, घर जाने की ललक में जो कमाया था वो भी बेचना पड़ गया। सोमवार को सराफा में काम करने वाले 37 बंगाली कारीगर एक बस से पश्चिम बंगाल अपने घर के लिए रवाना हुए। घर जाने के लिए कईयों के पास किराया नहीं होने से किसी ने मोबाइल बेचा तो किसी ने अपने जेवर। सभी ने मिलकर 1.70 लाख रुपए जमा कर बस का किराया चुकाया।
खंडवा. लॉक डाउन में सराफा के बंगाली कारीगरों का रोजगार तो छूटा ही, घर जाने की ललक में जो कमाया था वो भी बेचना पड़ गया। सोमवार को सराफा में काम करने वाले 37 बंगाली कारीगर एक बस से पश्चिम बंगाल अपने घर के लिए रवाना हुए। घर जाने के लिए कईयों के पास किराया नहीं होने से किसी ने मोबाइल बेचा तो किसी ने अपने जेवर। सभी ने मिलकर 1.70 लाख रुपए जमा कर बस का किराया चुकाया।
सराफा बाजार में स्वर्ण आभूषण की कारीगरी करने वाले करीब 150 बंगाली कारीगर पिछले दो माह से बेरोजगार बैठे हुए थे। कोई काम नहीं होने से कई छोटे कारीगर जैसे तैसे अपना गुजारा कर रहे थे। इन कारीगरों ने प्रशासन और सरकार से भी गुहार लगाई थी कि उन्हें उनके घर पश्चिम बंगाल के मेघनापुर तक भिजवाने की व्यवस्था की जाए। हालांकि प्रशासन ने बस की व्यवस्था तो नहीं की, लेकिन पश्चिम बंगाल तक जाने के लिए प्रदेश सरकार से अनुमति दिला दी। जिसके बाद कारीगारों ने बस संचालक से बात की। बस संचालक ने पश्चिम बंगाल जाने का किराया 1.70 लाख रुपए बताया। कारीगर कार्तिक आदक, जयोंता हाजरा, आसिम डोलाई आदि ने बताया कि पहली सूची में जिनके नाम आए थे, उसमें कुछ परिवार ऐसे भी थे जिनके पास किराये के लिए भी रुपए नहीं थे। ऐसे लोगों ने अपने जेवर, मोबाइल, घड़ी व अन्य सामान बेचकर किराया जुटाया। जिसके बाद सोमवार शाम बांबे बाजार से इन 37 लोगों को लेकर बस रवाना हुई। समाज के रवि कालजा ने बताया कि अभी 110 लोग ऐसे है जिन्हें वापस जाना है, जिसके लिए अनुमति का इंतजार किया जा रहा है। सरकार की अनुमति मिलते ही ये लोग भी पश्चिम बंगाल रवाना हो जाएंगे।