अंजड़. तहसील की मुख्य फसल कपास है और यहां का किसान मानसून के पूर्व ही मई माह में अपने खेतों में कपास के बीज बो देते है। इसे स्थानीय भाषा में गर्मी का कपास कहा जाता है। इस फसल की सिंचाई मानसून के आने तक टपक सिंचाई पद्धति से की जाती है। इस साल अंजड़- ठीकरी क्षेत्र की बात करें तो दोनों तहसीलों में करीब 24 हजार हेक्टेयर कपास की बुवाई होने के अनुमान है। वहीं हजारों हेक्टेयर में कपास की बोवनी की शुरुआत किसानों द्वारा अक्षय तृतीया से शुरू हो चुकी है जो कि कपास की कुल फसल का 45 से 55 फीसद है।
अंजड़ व ठीकरी तहसील क्षेत्र में जिले का अधिकांश नर्मदा पट्टी का क्षेत्र इन्हीं दो तहसीलों में है। जिसमें प्रमुख रूप से कपास, गन्ना, केला की फसल बोई जाती है, इसके अलावा सजवाय (अंजड़) का रणजीत तालाब और सेंगवाल (ठीकरी) का तालाब दोनों एक बड़े हिस्से के खेतों की प्यास बुझाने का काम करते है, जो कि इंदिरा सागर नहरों के पानी के कारण भरे हुए है। बीते वर्ष जहां अंजड़ क्षेत्र में 10863 हेक्टेयर व ठीकरी क्षेत्र में 8662 हेक्टेयर में कपास लगाया गया था जो इस साल कपास के भाव अधिक मिलने से किसानों की पहली पसंद कपास ओर सोयाबीन बना हुआ है। अंजड और ठीकरी तहसील मिलाकर ठीकरी विकासखंड में कुल 24 हजार हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल में इस साल कपास की फसल का अनुमान है। इसमें से करीब 3 हजार हैक्टेयर में मानसून के पूर्व ही कपास की फसल के बीज खेती की जमीन में बोवनी शुरू हो चुकी है। आखा तीज के बाद क्षेत्र में किसान खेतों में कपास के बीज का रोपण करना शुरू कर दिया है।
अंजड़ व ठीकरी तहसील क्षेत्र में जिले का अधिकांश नर्मदा पट्टी का क्षेत्र इन्हीं दो तहसीलों में है। जिसमें प्रमुख रूप से कपास, गन्ना, केला की फसल बोई जाती है, इसके अलावा सजवाय (अंजड़) का रणजीत तालाब और सेंगवाल (ठीकरी) का तालाब दोनों एक बड़े हिस्से के खेतों की प्यास बुझाने का काम करते है, जो कि इंदिरा सागर नहरों के पानी के कारण भरे हुए है। बीते वर्ष जहां अंजड़ क्षेत्र में 10863 हेक्टेयर व ठीकरी क्षेत्र में 8662 हेक्टेयर में कपास लगाया गया था जो इस साल कपास के भाव अधिक मिलने से किसानों की पहली पसंद कपास ओर सोयाबीन बना हुआ है। अंजड और ठीकरी तहसील मिलाकर ठीकरी विकासखंड में कुल 24 हजार हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल में इस साल कपास की फसल का अनुमान है। इसमें से करीब 3 हजार हैक्टेयर में मानसून के पूर्व ही कपास की फसल के बीज खेती की जमीन में बोवनी शुरू हो चुकी है। आखा तीज के बाद क्षेत्र में किसान खेतों में कपास के बीज का रोपण करना शुरू कर दिया है।