ऐसे हैं दीवाने, दो हजार किमी दूर से आते हैं शीश नवाने
हरफनमौला कलाकार किशोर दा के प्रशंसक पूरी दुनिया में बसे है

खंडवा. हरफनमौला कलाकार किशोर दा के प्रशंसक पूरी दुनिया में बसे हुए है। आज भी किशोर दा के चाहने वालों की दीवानगी उनके प्रति कम नहीं हुई है। चाहे किशोर दा की जयंती हो या पुण्यतिथि, उनके दीवाने हजारों किमी दूर से खंडवा स्थित किशोर दा की समाधि पर शीश नवाने पहुंच जाते हंै। कोई दूध जलेबी का भोग लगाता है तो कोई संगीत के माध्यम से किशोर दा को श्रद्धांजलि अर्पित करता है। किशोर दा के लिए एक प्रशंसक तो घर में ही उनका मंदिर बनाकर पूजा करते है।
4 अगस्त और 13 अक्टूबर ये दो ऐसी तारीख है जिसे किशोर दा के प्रशंसक कभी नहीं भूलते। किशोर दा के गीत सुनकर उनके प्रशंसक बने पश्चिम बंगाल निवासी संजीव कुमार डे हर साल किशोर दा की जयंति और पुण्यतिथि पर खंडवा आते है। डे ने बताया कि पहले उन्हे किशोर दा का पता नहीं मालूम था। किताबों और इंटरनेट से पता चला कि खंडवा में समाधि है। वो वर्तमान में असम में आर्ट डेकोरेशन का काम करते है। दो हजार किमी का सफर कर तीन दिन में वे खंडवा पहुंचे है। यहां उन्होंने अपने आर्ट का नमूना पेश करते हुए थर्मोकॉल से किशोर दा की तस्वीर के लिए फे्रम बनाकर लगाई।
गीत संगीत में शहर की बहुमुखी प्रतिभा के रूप में पहचाने जाने वाले योगेश मीणा भी किशोर दा के लिए अलग ही रूप में श्रद्धांजलि पेश करते है। किशोर दा के जन्मदिन के एक माह पूर्व योगेश स्कूली बच्चों को नि:शुल्क गीत-संगीत की शिक्षा देते है। जन्मदिन के एक दिन पूर्व अपने विद्यार्थियों को लेकर वे किशोर समाधि पहुंचते है और बच्चों के द्वारा गीत गाकर किशोर दा को श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है।
घर में ही बना डाला किशोर दा का मंदिर
शहर के व्यवसायी और गायक संजय पंचोलिया भी किशोर दा के प्रशंसक ही नहीं बल्कि भक्त है। पंचोलिया की दीवानगी का आलम ये है कि उन्होंने अपने घर में ही किशोर दा का मंदिर बना डाला। रोज भगवान की पूजा के साथ ही वे किशोर दा की पूजा भी करते है। किशोर दा की जयंती और पुण्यतिथि पर तो वे दूध जलेबी का भोग लगाकर प्रसाद भी बांटते है। किशोर दा की मौत के बाद पहला जन्मदिन 1988 में उन्होंने ही शहर में मनाया था। मौत के बाद पहले जन्मदिन पर उनके घर की छत पर कणिक मास्साब, हरिभाउ मेटकर, दीपक जोशी सहित 50 लोग आयोजन में शामिल हुए थे।
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