लोकसभा चुनाव के दौरान निमाड़ में शुक्रवार के दिन कांग्रेस को झटका लगा है। एक ही दिन में खंडवा और खरगोन लोकसभा सीट से बागियों ने नामांकन कर आलाकमान के सामने चुनौती पेश कर दी है।
खंडवा. लोकसभा चुनाव के दौरान निमाड़ में शुक्रवार के दिन कांग्रेस को झटका लगा है। एक ही दिन में खंडवा और खरगोन लोकसभा सीट से बागियों ने नामांकन कर आलाकमान के सामने चुनौती पेश कर दी है। बुरहानपुर में निर्दलीय विधायक सुरेंद्रसिंह ने पत्नी जयश्री के नाम से नामांकन फॉर्म जमा किया है। वहीं खरगोन लोकसभा सीट से बड़वानी जिला कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और इलाके के दिग्गज नेता सुखलाल परमार ने निर्दलीय नामांकन जमा किया है। दोनों ने ही कांग्रेस के टिकट बदले जाने की मांग की है, उनका कहना है कि अब किसी भी हाल में नामांकन वापस नहीं लेंगे। खंडवा बुरहानपुर लोकसभा सीट से जयश्री ने एक निर्दलीय और दूसरा कांग्रेस पार्टी के नाम से फॉर्म भरा। बोले फार्म भरते ही पार्टी का प्रेशर चालू हो गया, सीएम तक का फोन आ गया, 29 को चर्चा करने के लिए बुलाया है । बुरहानपुर के निर्दलीय विधायक सुरेंद्रसिंह ने कहा कि पूरा चैलेंज ह,ै यह चुनाव एक तरफा हो जाएगा, आप देख लेना, आज की तारीख में जनता चाहती है कि ठाकुर शिवकुमारसिंह के परिवार से लोग चुनाव लड़े। ये जनता का ही आदेश है उनका आग्रह है कि हम फॉर्म भरें। कल से चुनावी तैयारी शुरू हो जाएगी। कहा एक कांग्रेस से भरा है एक निर्दलीय भरा है। पूरी उम्मीद है कांग्रेस का टिकट बदल जाएगा। सुरेंद्रसिंह ने कहा अरुण यादव एक बार सांसद रहे, मेरे दो भाई ठाकुर महेंद्रसिंह, ठाकुर शिवकुमारसिंह यहां सांसद रहे। यादव की कार्यप्रणाली ऐसी है कि लोगों से जुड़ नहीं पाए। वे सरलता से मिल जाए ऐसा हो नहीं पाया। कहा कि चुनाव में पूरी टक्कर देंगे। कहा कि शिवकुमारसिंह सहकारिता के आधार पर उद्योग लगाया बुरहानपुर में, हम चाहते हैं हर विधानसभा में यह उद्योग लगे। किसान की आर्थिक स्थिति मजबूत हो किसान का बेटा इंजीनियर डॉक्टर बने।
Loksabha Election 2019: Khandwa Khargone burhanpur barwani election IMAGE CREDIT: patrikaचुनाव से पहले छोड़ी मुजाल्दा ने नौकरी बड़वानी जिला कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सुखलाल परमार ने कहा कि वे 30 साल से पार्टी के लिए काम कर रहे हैं, 15 साल में सेंधवा में मजबूत विपक्ष की भूमिका निभाई। 5 साल में जिला कांग्रेस अध्यक्ष रहने के दौरान पार्टी को मजबूत किया। पत्नी सुभद्रा परमार जिला पंचायत अध्यक्ष के लिए दावेदार थी, लेकिन उन्हें अध्यक्ष नहीं बनाया। पिछले दो विस चुनाव से वे सेंधवा से दावेदार, लेकिन टिकट नहीं दिया। वरिष्ठ नेताओं ने दोनों जिलों में पहचान होने के चलते लोकसभा चुनाव में ध्यान रखे जाने की बात कही थी। उन्होंने कहा कि डॉ. मुजाल्दे को न तो क्षेत्र में कोई जानता है न संगठन में कोई योगदान है। चुनाव से पहले सरकारी नौकरी छोड़ी है।