श्रावण के पहले सोमवार निकाली भगवान ओंकारनाथ की सवारी
खंडवाPublished: Jul 06, 2020 09:49:14 pm
-श्रावण मास के पहले सोमवार को 3400 भक्तों ने किए दर्शन-ऑनलाइन बुकिंग कराने वाले श्रद्धालुओं को मिला मंदिर में प्रवेश-कावड़ यात्राओं पर रहा प्रतिबंध, घाटों पर रही कड़ी सुरक्षा व्यवस्था
-श्रावण मास के पहले सोमवार को 3400 भक्तों ने किए दर्शन-ऑनलाइन बुकिंग कराने वाले श्रद्धालुओं को मिला मंदिर में प्रवेश-कावड़ यात्राओं पर रहा प्रतिबंध, घाटों पर रही कड़ी सुरक्षा व्यवस्था
खंडवा.
श्रावण मास के पहले सोमवार को तीर्थनगरी ओंकारेश्वर में बम बोले के जयकारों की गूंज नहीं सुनाई दी। पहली बार श्रावण मास में ज्योतिर्लिंग भगवान ओंकारेश्वर की सवारी सादगी पूर्ण रूप से निकाली गई। शाम 4 बजे भगवान ओंकारनाथ महाराज फूलों से सजी पालकी में सवार होकर मंदिर से निकले। पालकी शंकराचार्य मंदिर से होते हुए कोटितीर्थ घाट पहुंची।
यहां पं. राजेश्वर दीक्षित के नेतृत्व में पं. रामचंद्र परसाई, पं. जगदीशचंद्र परसाई, पं. सुरेश कौशिक, पं. गोपाल दुबे सहित अन्य विद्वानों द्वारा दूध, दही, पंचामृत, नर्मदा जल से मंत्रोच्चार के साथ अभिषेक कराया। वहीं, दक्षिण तट पर ममलेश्वर महादेव भगवान का भी अभिषेक हुआ। पूजा अर्चना के बाद भगवान को नौका विहार कराया गया। इसके बाद सवारी ओंकार घाट पहुंची, जहां से मुख्य बाजार होते हुए पालकी वापस मंदिर पहुंची। पालकी को श्रावण मास की परंपरा अनुसार घाट की दूसरी ओर नहीं ले जाया गया। शासन के निर्देशानुसार पालकी सवारी में न तो ढोल-ताशे, बैंड बाजे रहे, न ही गुलाल उड़ाई गई। इस दौरान श्रद्धालुओं ने दूर से ही भगवान के दर्शन किए। सवारी में एसडीएम डॉ. ममता खेड़े, सवारी प्रभारी आशीष दीक्षित, मंदिर ट्रस्ट सहायक कार्यपालन अधिकारी अशोक महाजन सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करवाते हुए संपूर्ण मार्ग में पालकी के साथ रहे। श्रावण मास के पहले सोमवार को 34 सौ से भी अधिक भक्तों ने ज्योतिर्लिंग भगवान ओंकारेश्वर के दर्शन लाभ लिए। दर्शनों के पूर्व भक्तों ने ऑन लाइन बुकिंग करवाई थी। उनका यात्री सहायता केंद्र पर और मंदिर के पास थर्मल स्क्रीनिंग कर जांच की गई, टोकन नंबर की जांच की गई, हैंड वॉश से हाथ धुलवाकर सैनेटाइज कराए गए। उसके बाद सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए बनाए हुए गोलों में मास्क पहनकर 25 फीट दूरी से सुखदेव मुनि गेट के बाहर से भक्तों ने ज्योतिर्लिंग भगवान ओंकारेश्वर के दर्शन किए। इस दौरान फूल, विल्ब पत्र, प्रसाद जल चढ़ाया जो पात्र में रखा गया।