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किसान ने पारंपरिक छोड़ पकड़ी आधुनिक खेती की राह, हो गया मालामाल

locationखंडवाPublished: Dec 07, 2020 07:55:54 pm

Submitted by:

tarunendra chauhan

दस एकड़ में लगाए चौदह सौ पौधे

modern farming

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खंडवा. खालवा से 3 किलोमीटर दूर ग्राम मैदा रानी में 35 वर्ष के शिक्षित कृषक देवेंद्र दुबे ने अपने 10 एकड़ के खेत में लगभग 14 सौ कागजी नींबू के पौधे लगाकर बाग तैयार कर रहे हैं, साथ ही कुछ पौधे कटहल, आम, चीकू व आंवला के भी लगाए हैं।

नींबू के बगीचे से तो अब फल भी प्राप्त होने लगे हैं। पारंपरिक खेती में जब अधिक लागत और मुनाफा कम होता दिखा तो देवेंद्र ने अपने खेत में कुछ नया करने का सोचा, उन्होंने अपने 10 एकड़ खेत में से पहले दो एकड़ में पारंपरिक फसलों के साथ-साथ सब्जियों की खेती प्रारंभ की। कुछ फायदा हुआ तो मन में विचार आया कि खेती में कम लागत में अधिक समय तक मुनाफा कैसे प्राप्त किया जाए।
कई जगह उद्यानिकी का लिया प्रशिक्षण
देवेन्द्र नेे गुजरात, महाराष्ट्र नागलवाड़ी, होशंगाबाद, जबलपुर इत्यादि जगहों पर पहुंचकर बागवानी एवं फलों की खेती कर रहे किसानों से मुलाकात कर फलों की खेती के बारे में जानकारी हासिल की।

नींबू के चौदह सौ पौधे रोपे
इसके बाद जुलाई 2018 में बड़वाह की एक नर्सरी से उपचारित बीज से तैयार किए चौदह सौ कागजी नींबू के पौधे अपने खेत में रोपकर नींबू का बगीचा तैयार किया। नींबू के पौधों ने फल देना प्रारंभ कर दिया। देवेंद्र बताया कि इस वर्ष फल नहीं ले रहे, लेकिन आने वाले वर्ष में अच्छी प्रकार फल लगने लगेंगे, उन्होंने कहा कि नींबू का बगीचा एक बार तैयार हो जाए तो सालों साल उचित देखभाल कर मुनाफा लिया जा सकता है। नींबू के पौधों के साथ ही उन्होंने खाली जगह में बैगन, टमाटर, कद्द,ू लहसुन भी लगा रखी है।

नींबू के पौधों के बीच सब्जी की खेती भी
उन्होंने बताया कि नींबू के पौधे दूरी पर लगते हैं। इसीलिए बीच में बहुत जगह खाली पड़ी रहती है, जिसमें सब्जियां लगा दी थी। हर तीसरे दिन सब्जियां बेचकर नकद राशि मिल जाती है। फलों व सब्जियों में सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी की आवश्यकता होती है अपने खेत में ट्यूबवेल में कम पानी होने के चलते हैं उन्हें हर साल सिंचाई में दिक्कत आती थी, उन्होंने पास की नदी से 10 हजार फीट पाइपलाइन डालकर अपने खेत में पर्याप्त सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी की व्यवस्था की। वह अपने साथ-साथ अन्य किसानों को भी फलों व सब्जियों की खेती के लिए प्रेरित करते हैं।

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