प्रदेश के सात मेडिकल कॉलेजों में से मात्र एक दतिया मेडिकल कॉलेज को ही इस साल मान्यता मिली थी। एमसीआइ ने बाकी के छह कॉलेज में कमियां पाते हुए इस साल मान्यता देने से इंकार कर दिया था। जिसके बाद प्रदेश सरकार खंडवा के 100 सीटर और रतलाम, विदिशा के 150-150 सीटर मेडिकल कॉलेज के लिए सुप्रीम कोर्ट चली गई थी। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर ही शुक्रवार को एमसीआइ की टीम खंडवा में दोबारा निरीक्षण करने पहुंची थी। पिछली बार मेडिकल कॉलेज में स्टाफ की कमी के कारण मान्यता नहीं मिल पाई थी।
लगी डॉक्टर्स की लाइन
एमसीआइ की टीम के आने की सूचना मिलते ही सभी डॉक्टर्स जिला अस्पताल पहुंच गए। एक-एक वार्ड में मरीजों की संख्या, डॉक्टर्स की संख्या, मौजूद स्टाफ, प्रतिदिन आने वाले मरीजों की संख्या, डॉक्टर्स को बांटे गए पलंगों की जानकारी ली। ओटी में कितने सर्जन, कितनी सर्जरी प्रतिदिन हो रही है इसकी भी जानकारी ली। इसके बाद नैदानिक केंद्र, महिला अस्पताल और ट्रामा सेंटर में भी सारी जानकारियां ली।
शाम तक चला निरीक्षण
टीम ने यहां सभी डॉक्टर्स के इंटरव्यू भी लिए। कलेक्टर विशेष गढ़पाले और डीन की मौजूदगी में एमसीआइ की टीम ने प्रथम वर्ष की पढ़ाई के हिसाब से भवनों, लैब में उपकरण, फर्नीचर, स्टाफ की व्यवस्था सहित अन्य पाइंट पर भी जानकारी ली। इस दौरान सिविल सर्जन डॉ. ओपी जुगतावत और आरएमओ डॉ. शक्तिसिंह राठौर भी मेडिकल कॉलेज पहुंचे। शाम 6.30 बजे तक चले निरीक्षण में एमसीआइ टीम संतुष्ट दिखी।
शासकीय खंडवा मेडिकल कॉलेज के डीन डॉक्टर संजय दादू ने कहा, हमारी तैयारी पूरी थी, एमसीआइ की रिक्वायरमेंट के हिसाब से सारी व्यवस्था की गई थी। टीम संतुष्ट नजर आई है। एक सप्ताह में एमसीआइ अपना फैसला सुना देगी। पूरी उम्मीद है कि मान्यता मिल जाएगी।