फैक्ट फाइल
2013-14 में तैयार हुआ ग्रोथ सेंटर
148.74 हैक्टेयर भूमि पर किया गया विकसित
02 ही उद्योगों की स्थापना हो पाई है यहां पर
40 करोड़ रुपए करीब यहां किए गए हैं खर्च
02 बार यहां निवेश के लिए लगे हैं औद्योगिक शिविर
10 हजार बेरोजगारों को रोजगार मिलने की थी उम्मीद
2013-14 में तैयार हुआ ग्रोथ सेंटर
148.74 हैक्टेयर भूमि पर किया गया विकसित
02 ही उद्योगों की स्थापना हो पाई है यहां पर
40 करोड़ रुपए करीब यहां किए गए हैं खर्च
02 बार यहां निवेश के लिए लगे हैं औद्योगिक शिविर
10 हजार बेरोजगारों को रोजगार मिलने की थी उम्मीद
…तब जागी थी उम्मीद
2015 में उम्मीद जगी थी कि यहां के विकसित क्षेत्र में उद्योग शुरू हो सकेंगे। शीतल पेय, फूड प्रोसेसिंग, कॉटन मिल से जुड़ी 9 कंपनियों ने यहां उद्योग लगाने के लिए रूचि दिखाई थी। वे यहां ९९५ करोड़ रुपए का निवेश करने की तैयारी में थीं, लेकिन एेसा नहीं हो पाया।
2015 में उम्मीद जगी थी कि यहां के विकसित क्षेत्र में उद्योग शुरू हो सकेंगे। शीतल पेय, फूड प्रोसेसिंग, कॉटन मिल से जुड़ी 9 कंपनियों ने यहां उद्योग लगाने के लिए रूचि दिखाई थी। वे यहां ९९५ करोड़ रुपए का निवेश करने की तैयारी में थीं, लेकिन एेसा नहीं हो पाया।
ग्रोथ नहीं हो रही…क्योंकि ये है सबसे बड़ी वजह
– 90 रुपए प्रति स्क्वेयर फीट जमीन का दाम है।
– 40 लाख रुपए प्रति एकड़ करीब इस हिसाब से बनते हैं।
– लीज की जमीन पर हर साल इसका रेंट भरना पड़ेगा।
– जबकि 20 लाख रुपए प्रति एकड़ की जमीनें इसी रोड पर उपलब्ध है।
– 90 रुपए प्रति स्क्वेयर फीट जमीन का दाम है।
– 40 लाख रुपए प्रति एकड़ करीब इस हिसाब से बनते हैं।
– लीज की जमीन पर हर साल इसका रेंट भरना पड़ेगा।
– जबकि 20 लाख रुपए प्रति एकड़ की जमीनें इसी रोड पर उपलब्ध है।
ये हो सकते हैं उपाय
– बायपास सबसे बड़ी जरूरत है, क्योंकि शहर से ट्रक क्रॉस होना बड़ी समस्या।
-30 रुपए प्रति स्क्वेयर फीट तक की मांग निवेशक कर चुके हैं जमीन के लिए।
– सब्सिडी या छूट दिए जाने पर भी उद्योगपति यहां जमीन लेने आ सकते हैं आगे।
– बायपास सबसे बड़ी जरूरत है, क्योंकि शहर से ट्रक क्रॉस होना बड़ी समस्या।
-30 रुपए प्रति स्क्वेयर फीट तक की मांग निवेशक कर चुके हैं जमीन के लिए।
– सब्सिडी या छूट दिए जाने पर भी उद्योगपति यहां जमीन लेने आ सकते हैं आगे।
…लेकिन ये प्रयास रहे हैं नाकाफी
– औद्योगिक भूखंडों के आवं?टन के संबंध में यहां इन चार साल में दो शिविर हुए हैं।
– 31 अगस्त 2016 को हुए शिविर में करीब 120 उद्योगपति व निवेशवकर्ता शामिल हुए।
– 19 जनवरी 2018 के औद्योगिक शिविर सिर्फ 25 उद्योगपति व निवेशकर्ता ही शामिल हुए।
– एकेवीएन इंदौर के अफसरों ने लैपटाप से ऑनलाइन फॉर्म जमा करना बताया गया।
– दोनों ही औद्योगिक शिविर का कोई बड़ा सकारात्मक रिजल्ट सामने नहीं आ पाया।
– औद्योगिक भूखंडों के आवं?टन के संबंध में यहां इन चार साल में दो शिविर हुए हैं।
– 31 अगस्त 2016 को हुए शिविर में करीब 120 उद्योगपति व निवेशवकर्ता शामिल हुए।
– 19 जनवरी 2018 के औद्योगिक शिविर सिर्फ 25 उद्योगपति व निवेशकर्ता ही शामिल हुए।
– एकेवीएन इंदौर के अफसरों ने लैपटाप से ऑनलाइन फॉर्म जमा करना बताया गया।
– दोनों ही औद्योगिक शिविर का कोई बड़ा सकारात्मक रिजल्ट सामने नहीं आ पाया।
– पूरी तरह विफल
बगैर प्लानिंग के लिए तैयार किया गया ग्रोथ सेंटर पूरी तरह से विफल है। बायपास नहीं है, सब्सिडी नहीं है, कोई छूट नहीं है। मतलब, आकर्षित करने की कोई चीज नहीं है। रेट भी बहुत अधिक हैं।
गुरमीतसिंह उबेजा, अध्यक्ष, चैंबर ऑफ कॉमर्स
बगैर प्लानिंग के लिए तैयार किया गया ग्रोथ सेंटर पूरी तरह से विफल है। बायपास नहीं है, सब्सिडी नहीं है, कोई छूट नहीं है। मतलब, आकर्षित करने की कोई चीज नहीं है। रेट भी बहुत अधिक हैं।
गुरमीतसिंह उबेजा, अध्यक्ष, चैंबर ऑफ कॉमर्स
– बायपास से जोडऩे की योजना
औद्योगिक क्षेत्र को बायपास से जोड़े जाने की योजना राष्ट्रीय राजमार्ग विभाग द्वारा तैयार कर ली गई है। राज्य शासन की औद्योगिक नीति के अनुसार, उद्योगपतियों को भूखंड सब्सडाइज्ड रेट पर दिए जा रहे हैं।
एचआर मुझाल्दा, कार्यकारी संचालक, एकेवीएन
औद्योगिक क्षेत्र को बायपास से जोड़े जाने की योजना राष्ट्रीय राजमार्ग विभाग द्वारा तैयार कर ली गई है। राज्य शासन की औद्योगिक नीति के अनुसार, उद्योगपतियों को भूखंड सब्सडाइज्ड रेट पर दिए जा रहे हैं।
एचआर मुझाल्दा, कार्यकारी संचालक, एकेवीएन