नहीं हो रही निशुल्क पेयजल टैंकरों मॉनिटरिंग, सिफारिश पर होता है पानी नसीब
50 वार्डों में मात्र 26 टैंकर से पेयजल वितरण की वैकल्पिक व्यवस्था भी कमजोर
खंडवा
Published: May 15, 2022 11:07:57 am
खंडवा. शहर को जलसंकट से राहत दिलाने वाले निगम को अब पानी की चिंता सता रही है। पानी की किल्लत को दूर करने के लिए बड़ी संख्या में टैंकरों से पानी की सप्लाय तो शुरू कर दी है, लेकिन इस पर किसी की निगरानी नहीं होने से न ही कर्मचारियों पर निगाह होती है और न ही टैंकरों पर। वहीं टैंकरों में जीपीएस सिस्टम नहीं होने से उनकी भी मॉनिटरिंग नहीं हो रही है। ऐसे में अधिकतर लोग निजी टैंकरों से पानी खरीदने को मजबूर हैं। वहीं नि:शुल्क सरकारी टैंकरों की संख्या कम होने से यह पानी 'सिफारिशÓ वालों को ही नसीब होता है। वहीं जलसंकट में निशुल्क टैंकरों की मॉनिटरिंग करने के लिए कुछ दिन पहले जिला प्रशासन की ओर से अधिकारियों की टीम का गठन किया गया था लेकिन वे भी इन निशुल्क टैंकरों की मॉनिटरिंग नहीं कर रहे है। बता दें कि नगर निगम क्षेत्र में 50 वार्ड में जलसंकट से निजात पाने के लिए हाल ही में करीब 93 लाख रुपए का टेंडर जारी किया है।
टैंकर्स की मॉनिटरिंग में नगर निगम नाकाम
शहर में पानी वितरण सिस्टम को सही करने के लिए नगर निगम ने एक निगरानी टीम तो लगा दी, लेकिन उसके बाद भी टैंकर्स पानी बांट रहे हैं या नहीं इसकी सही जानकारी निगम को नहीं मिल रही है। नगर निगम ने 26 से ज्यादा टैंकर किराए पर लेकर उनसे पानी वितरण कर रही है। लेकिन ये टैंकर कब कहा और इतना खाली हो रहे है इसकी कोई जानकारी निगम अधिकारियों के पास नहीं होती है केवल एक रजिस्ट्रार में एंटी कर ली जाती है लेकिन टैंकर के साथ कोई कर्मचारी या अधिकारी मौके पर नहीं जाता है। जिससे चालक अपनी मनमर्जी का काम कर रहे है।
ऑफिस में बैठकर कर रहे निगरानी
जिला प्रशासन व निगम प्रबंधन ने जिन अधिकारियों को टैंकरों व पेयजलसंकट की निगरानी रखने के लिए नियुक्त किया है उनमें से अधिकतर अधिकारी अपने ऑफिस में बैठकर ही निगरानी कर रहे है। इसमें कई अधिकारी ऐसे जो अभी तक किसी भी टैंकर को देखने फिल्ड पर नहीं गए है। वहीं कई अधिकारी मीटिंग और पाइप सुधार कार्य में व्यस्त होने बताया।
गश्ती दल नहीं करता कार्रवाई्र, अबतक एक भी मोटर जब्त नहीं
जलसंकट को लेकर निगम प्रबंधन ने गश्ती दल का भी गठन किया है लेकिन गश्ती दल कोई कार्रवाई नहीं करता। निगम से मिली जानकारी के अनुसार अभी तक गश्ती दल के द्वारा एक भी कार्रवाई नहीं की गई है। वहीं निगम के मोटर जब्ती दल ने अबतक कोई भी मोटर जब्त नहीं की गई है।
ये अधिकारी है निगरानी टीम
उपायुक्त प्रदीप कुमार जैन, अधीक्षक यंत्री कैलाश चौधरी, जल वितरण प्रभारी अंतर सिंह तंवर, सहायक यंत्री राजेश गुप्ता, उपयंत्री प्रशांत पंचोरे, सहायक यंत्री राधेश्याम उपाध्याय, उपयंत्री राहुल रघुवंशी, सहायक यंत्री संजय शुक्ला, उपयंत्री गोपाल सिंह चौहान आदि शामिल है।
अभी क्या है व्यवस्था
टैंकरों से पानी की सप्लाई पर नजर रखने या इसमें घपले को रोकने के लिए जल विभाग ने टैंकरों को रजिस्ट्रर में एंट्री करके भेज देता है। इससे न तो कर्मचारी को पता होता है टेंकर जलसंकट वाले स्थान पर पहुंचा या नहीं न ही अधिकारी को पता होता है। नहीं हो रही निशुल्क पेयजल टैंकरों मॉनिटरिंग, सिफारिश पर होता है पानी नसीब
50 वार्डों में मात्र 26 टैंकर से पेयजल वितरण की वैकल्पिक व्यवस्था भी कमजोर
फोटो- केडी- 1512- झीलउद्यायन के पास खड़े टैंकर।
केडी- 1507- शिवाजी नगर स्थित जोन कार्यालय में बैठे अधिकारी।
खंडवा. शहर को जलसंकट से राहत दिलाने वाले निगम को अब पानी की चिंता सता रही है। पानी की किल्लत को दूर करने के लिए बड़ी संख्या में टैंकरों से पानी की सप्लाय तो शुरू कर दी है, लेकिन इस पर किसी की निगरानी नहीं होने से न ही कर्मचारियों पर निगाह होती है और न ही टैंकरों पर। वहीं टैंकरों में जीपीएस सिस्टम नहीं होने से उनकी भी मॉनिटरिंग नहीं हो रही है। ऐसे में अधिकतर लोग निजी टैंकरों से पानी खरीदने को मजबूर हैं। वहीं नि:शुल्क सरकारी टैंकरों की संख्या कम होने से यह पानी 'सिफारिशÓ वालों को ही नसीब होता है। वहीं जलसंकट में निशुल्क टैंकरों की मॉनिटरिंग करने के लिए कुछ दिन पहले जिला प्रशासन की ओर से अधिकारियों की टीम का गठन किया गया था लेकिन वे भी इन निशुल्क टैंकरों की मॉनिटरिंग नहीं कर रहे है। बता दें कि नगर निगम क्षेत्र में 50 वार्ड में जलसंकट से निजात पाने के लिए हाल ही में करीब 93 लाख रुपए का टेंडर जारी किया है।
टैंकर्स की मॉनिटरिंग में नगर निगम नाकाम
शहर में पानी वितरण सिस्टम को सही करने के लिए नगर निगम ने एक निगरानी टीम तो लगा दी, लेकिन उसके बाद भी टैंकर्स पानी बांट रहे हैं या नहीं इसकी सही जानकारी निगम को नहीं मिल रही है। नगर निगम ने 26 से ज्यादा टैंकर किराए पर लेकर उनसे पानी वितरण कर रही है। लेकिन ये टैंकर कब कहा और इतना खाली हो रहे है इसकी कोई जानकारी निगम अधिकारियों के पास नहीं होती है केवल एक रजिस्ट्रार में एंटी कर ली जाती है लेकिन टैंकर के साथ कोई कर्मचारी या अधिकारी मौके पर नहीं जाता है। जिससे चालक अपनी मनमर्जी का काम कर रहे है।
ऑफिस में बैठकर कर रहे निगरानी
जिला प्रशासन व निगम प्रबंधन ने जिन अधिकारियों को टैंकरों व पेयजलसंकट की निगरानी रखने के लिए नियुक्त किया है उनमें से अधिकतर अधिकारी अपने ऑफिस में बैठकर ही निगरानी कर रहे है। इसमें कई अधिकारी ऐसे जो अभी तक किसी भी टैंकर को देखने फिल्ड पर नहीं गए है। वहीं कई अधिकारी मीटिंग और पाइप सुधार कार्य में व्यस्त होने बताया।
गश्ती दल नहीं करता कार्रवाई्र, अबतक एक भी मोटर जब्त नहीं
जलसंकट को लेकर निगम प्रबंधन ने गश्ती दल का भी गठन किया है लेकिन गश्ती दल कोई कार्रवाई नहीं करता। निगम से मिली जानकारी के अनुसार अभी तक गश्ती दल के द्वारा एक भी कार्रवाई नहीं की गई है। वहीं निगम के मोटर जब्ती दल ने अबतक कोई भी मोटर जब्त नहीं की गई है।
ये अधिकारी है निगरानी टीम
उपायुक्त प्रदीप कुमार जैन, अधीक्षक यंत्री कैलाश चौधरी, जल वितरण प्रभारी अंतर सिंह तंवर, सहायक यंत्री राजेश गुप्ता, उपयंत्री प्रशांत पंचोरे, सहायक यंत्री राधेश्याम उपाध्याय, उपयंत्री राहुल रघुवंशी, सहायक यंत्री संजय शुक्ला, उपयंत्री गोपाल सिंह चौहान आदि शामिल है।
अभी क्या है व्यवस्था
टैंकरों से पानी की सप्लाई पर नजर रखने या इसमें घपले को रोकने के लिए जल विभाग ने टैंकरों को रजिस्ट्रर में एंट्री करके भेज देता है। इससे न तो कर्मचारी को पता होता है टेंकर जलसंकट वाले स्थान पर पहुंचा या नहीं न ही अधिकारी को पता होता है।

Monitoring of free drinking water tankers is not happening
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